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________________ प्रवचन 79 बंधन के कारण की शिथिलता योग - सूत्र : बंधकारणशैथिल्यात्प्रचारसंवेदनाच्च चित्तस्य परिशरीरावेशः ।। 3911 बंधन के कारण का शिथिल पड़ना और संवेदन- ऊर्जा भरी प्रवाहिनियों को जानना मन को पर- शरीर में प्रवेश करने देता है। उदानजयाज्जलपड़ककण्टकादिष्वसड़ग उत्क्रांतिश्च ।। 4011 उदना-उर्जा प्रवाहिनी को सिद्ध करने से, योगी पृथ्वी से ऊपर उठ पाता है। और किसी आधार, किसी संपर्क के बिना पानी, कीचड़, कांटों को पार कर लेता है। समानजयाज्ज्वलनम्।। 4111 समान ऊर्जा प्रवाहिनी को सिद्ध करने से, योगी अपनी जठर अग्नि को प्रदीप्त कर सकता है। श्रोत्राकाशय संबंधसंयमाद्दिव्यं श्रोत्रम्।। 4211 आकाश और कान के बीच के संबंध पर संयम ले आने से परा - भौतिक श्रवण उपलब्ध हो पाता है। कायाकाशयोः संबंधसंयमाल्लघुलूलसमापत्तेश्चाकाशगमनम्। 431/ शरीर और आकाश के संबंध पर संयम ले आने से और साथ ही भार- विहीन चीजों
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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