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________________ और चूंकि तुम मन के बोझ के तले बहुत ज्यादा दबे हुए हो, तो नशीले पदार्थों में इसी कारण आकर्षण मालूम होता है। स्मरण रहे, बिना स्वयं को क्षति पहुंचाए भी ऐसा हो सकता है। जब तुम ऐसा कुछ करते हो जिसकी स्वीकृति समाज नहीं देता है, तो उससे जो रोमांच होता है, वैसा ही रोमांच अमन की अवस्था के द्वारा होता है, लेकिन उसके लिए कीमत चुकानी पड़ती है। उन छोटे बच्चों को थोड़ा ध्यान से देखना जो कहीं छिपकर सिगरेट पी रहे हों। उनके चेहरों को देखना- उस समय वे कितने खुश, कितने आनंदित होते हैं। सिगरेट पीते जाएंगे खांसते जाएंगे आख से आंसू बहेंगे, क्योंकि धुआं भीतर खींचना, फिर उसे बाहर फेंकना केवल मूढता का ही काम तो है मैं नहीं कहता कि यह पाप है जैसे ही इसे पाप कहा कि वह आकर्षण का कारण बन जाती है। मैं तो इतना ही कहता हूं कि सिगरेट पीना मूढता है, इसमें कोई बुद्धिमत्ता नहीं है, यह कोई बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य नहीं है। , – लेकिन किसी छोटे बच्चे को सिगरेट पीते हुए देखना, जरा उसका चेहरा देखना हो सकता है कि वह किसी तकलीफ में, पीड़ा में हो, उसे श्वास लेने में तकलीफ हो रही हो, उसका जी मितला रहा हो, आंसू बह रहे हों, और वह तनाव भी अनुभव कर रहा हो लेकिन फिर भी खुश होता है कि वह ऐसा कुछ कर रहा है जो कि स्वीकृत नहीं है। वह कुछ ऐसा कर रहा है जो उसके मन का हिस्सा नहीं है, जो अपेक्षित नहीं है, जिसकी अपेक्षा नहीं की जा सकती। उसमें वह एक तरह की आजादी और स्वतंत्रता का अनुभव करता है। लेकिन अ मन होने की कला को ध्यान के माध्यम से बड़ी आसानी से उपलब्ध किया जा सकता है। इस ढंग के आत्मघाती तरीके अपनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर तुम यह सीख लो कि मन को एक ओर कैसे हटाना है, मन को एक ओर कैसे हटाया जा सकता है — जब तुम पैदा हु तो तुम्हारे पास मन नहीं था, तुमने बिना किसी मन के जन्म लिया है। इसीलिए तुम्हें अपने जीवन के कुछ वर्षों की, उन प्रारंभिक वर्षों की तीन, चार, पाच साल की उम्र की कोई स्मृति नहीं होती। तुम्हें उनका स्मरण नहीं रहता। क्यों? तुम थे तो सही, लेकिन तुम्हें वे प्रारंभिक वर्ष आखिर क्यों स्मरण नहीं हैं? क्योंकि उस समय तक मन पूरी तरह से निर्मित नहीं हुआ था। अगर तुम पीछे मुड़कर चार वर्ष की अवस्था तक कुछ याद करने की कोशिश करो तो कुछ थोड़ा-बहुत याद भी आ सकता है, लेकिन फिर सब भूल जाता है, फिर तुम और पीछे की ओर नहीं जा सकते, तुम दो -तीन वर्ष की बातें याद नहीं कर सकते क्या हो जाता है? उस समय भी तुम जीवित थे। सच तो यह है सबसे अधिक जीवंत जितने फिर कभी नहीं होते । वैज्ञानिकों का कहना है कि चार वर्ष की आयु में बच्चा अपनी संपूर्ण जानकारी का पचहतर प्रतिशत हिस्सा सीख लेता है। चार वर्ष की आयु में पचहत्तर प्रतिशत। तुमने अपने जीवन का पचहत्तर प्रतिशत हिस्सा पहले ही सीख लिया होता है, लेकिन फिर भी उसकी कोई स्मृति नहीं होती है क्योंकि मन
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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