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________________ मिले नहीं। कई बार ऐसा हुआ कि वे एक ही नगर में होते थे नगर कोई बहुत बड़ा भी नहीं होता था। कई बार वे छोटे से गांव में साथ-साथ ठहरे होते थे। एक बार तो ऐसा हुआ कि वह एक ही धर्मशाला में ठहरे थे, लेकिन फिर भी उनकी आपस में एक दूसरे से भेंट न हुई। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों होता है? और अगर तुम बौद्धों से या जैनों से पूछो कि बुद्ध और महावीर एक ही गांव, एक ही धर्मशाला में ठहरे होते थे, फिर भी वे एक-दूसरे से क्यों नहीं मिले, तो उन्हें थोड़ी परेशानी और बेचैनी अनुभव होती है। यह प्रश्न बेचैन करने वाला है, क्योंकि इससे तो यही लगता है कि वे बड़े अहंकारी रहे होंगे? कि कौन किसके पास जाए? बुद्ध जाएं महावीर के पास कि महावीर जाएं बुद्ध के पास? और दोनों में से कोई भी ऐसा नहीं कर सकता था तो जैन और बौद्ध इस प्रश्न से बचते हैं - उन्होंने कभी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया। लेकिन मैं जानता हूं कि वे आपस में एक दूसरे से क्यों नहीं मिले और कारण यह है कि मिलने के लिए वहां पर दो व्यक्ति मौजूद ही नहीं थे। यह अहंकार की बात नहीं है। इतना ही कि वहां दो व्यक्तियों की मौजूदगी ही नहीं थी! दो शन्यताएं एक ही धर्मशाला में ठहरी हुई हो तो क्या होगा? उन्हें कैसे करीब लाया जा सकता है? और अगर वे एक दूसरे से मिलेंगे भी, तो वे दो नहीं रहेंगे। केवल वहा एक ही शून्यता होगी। जब दो शून्य मिलते हैं, तो एक शून्य रह जाता है। 'स्वार्थ पर संयम संपन्न करने से अन्य ज्ञान से भिन्न पुरुष ज्ञान उपलब्ध होता है।" ततः प्रातिभश्रावणवेदनादर्शास्वादवार्ता जायन्ते । 'इसके पश्चात अंतर्बोधयुक्त श्रवण, स्पर्श, दृष्टि, आस्वाद और आधाण की उपलब्धि चली आती है। फिर से इस प्रतिभा शब्द को समझ लेना। जो व्यक्ति परिपूर्ण ध्यान को उपलब्ध हो जाता है, परिपूर्ण जागरूकता, होश को उपलब्ध हो जाता है, परिपूर्ण अंतर स्पष्टता, निर्दोषता को उपलब्ध हो जाता है, वह व्यक्ति प्रतिभा को उपलब्ध हो जाता है। प्रतिभा अंतरबोध नहीं है। बुद्धि है सूर्य अंतरबोध है चंद्र, प्रतिभा इन दोनों का अतिक्रमण है। पुरुष बौदधिक होता है, स्त्री ' बुद्धपुरुष, न तो पुरुष होता है न स्त्री होता है। अंतरबोध से जीती है; लेकिन अगर कोई व्यक्ति बुद्धि से जीता है, तो वह आक्रामक होगा। बुद्धि आक्रामक होती है, सूर्य ऊर्जा आक्रामक होती है। इसीलिए हमने कभी नहीं सुना कि किसी स्त्री ने किसी पुरुष का बलात्कार किया हो यह असंभव है। केवल पुरुष ही स्त्री का बलात्कार कर सकता है सूर्य ऊर्जा आक्रामक होती : – है, चंद्र- ऊर्जा ग्राहक होती है। बुद्धि आक्रामक होती है; अंतरबोध ग्राहक होता है। अगर तुममें ग्राहकता है, ग्रहण करने की क्षमता है, तो तुम अंतरबोध से जुड़ जाओगे। फिर वे चीजें दिखाई पड़ने लगती हैं, जिन्हें एक बुद्धि से जीने वाला व्यक्ति कभी नहीं देख सकता, क्योंकि वह खुला हुआ नहीं होता है।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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