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________________ अगर तुम संन्यासी हो तो क्रांतिकारी होने की कोई जरूरत नहीं है तम क्रांति हो ही। और मैं क्रांति इसलिए कहता हूं, क्योंकि क्रांतिकारी तो पहले से ही जड़-विचार और निश्चित धारणा का व्यक्ति होता है, और उसी में वह जीता है। मैं इसे 'क्रांति' कहता है. क्योंकि यह एक गतिमान प्रक्रिया है। संन्यासी के कोई पहले से बने -बनाए जड़ -विचार नहीं होते हैं, वह तो क्षण-क्षण, पल-पल जीता है। वह जिस क्षण, जिस पल जैसा अनुभव करता है, वैसा ही करता है, वैसे ही जीता है-वह किन्हीं बंधी -बधाई विचारों और धारणाओं के साथ नहीं जीता है। थोड़ा खयाल करना। अगर किसी कम्मनिस्ट से बात करो, तो तुम पाओगे कि वह बात को सुन ही नहीं रहा है। वह यूं ही हा –हूं में सिर हिला रहा हो, लेकिन वह सुन नहीं रहा है। किसी कैथोलिक से बात करो, वह नहीं सुन रहा है। किसी हिंदू से बात करो, वह नहीं सुन रहा है। जब तुम उनसे बात कर रहे होते हो तो वह अपना उत्तर अपने पुराने सड़े -गले, जड़-विचारों में से ही तैयार कर रहा होता है। उसके चेहरे के हाव-भाव से देख सकते हो कि उसके भीतर कहीं कोई संवेदना नहीं हो रही है, उनके चेहरे पर एक तरह की जड़ता और मायूसी छाई है। अगर किसी बच्चे से बात करो तो वह बात को ध्यानपूर्वक सुनता है। जब बच्चा कुछ सुनता है, तो पूरी एकाग्रता और ध्यान से सुनता है। और अगर नहीं सुनता है तो फिर वह बिलकुल ही नहीं सुनता है, लेकिन जो भी करता है पूरी समग्रता से करता है। किसी बच्चे से अगर बात करो, तो उसमें एक निर्दोषता और ताजगी होती है। संन्यासी भी बच्चे की भांति सरल और निर्दोष होता है। वह अपनी किन्हीं बंधी-बधाई धारणाओं से नहीं जीता; और न ही वह किसी विचारधारा का गुलाम होता है। वह अपनी चेतना से जीता है, वह होशपूर्वक, बोधपूर्वक जीता है। वह पल-पल जीता है। वह न तो भूत में जीता है, न भविष्य में, वह केवल वर्तमान के क्षण में जीता है। जब जीसस को सूली दी जा रही थी, तो एक चोर जो उनके पास ही खड़ा हुआ था, उसे भी सूली दी जा रही थी। वह जीसस से बोला, 'हम अपराधी हैं, हमें सूली पर चढ़ाया जा रहा है, यह तो ठीक है - इसे हम समझ सकते हैं। लेकिन आप तो बिलकुल निर्दोष मालूम होते हैं। लेकिन मैं इस बात से खुश हूं कि मुझे आपके साथ सूली पर चढ़ाया जा रहा है, मैं बहुत ही खुश हूं। मैंने अपने जीवन में कभी कोई अच्छा काम नहीं किया है।' एक घटना बिलकल भल ही गया था। जब जीसस का जन्म हआ था, उस समय जब जीसस के माता-पिता देश छोड़कर भाग रहे थे, क्योंकि उस देश के राजा ने एक सुनिश्चित अवधि में पैदा हुए बालकों का सामूहिक वध करने की आज्ञा दी हुई थी। राजा के भविष्यवक्ताओं ने राजा को यह बताया था कि इस सुनिश्चित अवधि में जो बच्चे जन्म लेंगे, उनमें से एक बच्चा क्रांति करेगा, और वह क्रांति खतरनाक सिदध होगी। तो पहले से ही सतर्क और सावधान रहना अच्छा होगा। इसलिए राजा ने उस
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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