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________________ से व्यक्ति प्रकृति के साथ, अस्तित्व के साथ जुड़ जाता है। फिर इस अवस्था को परमात्मा कहो, या सिद्धावस्था कहो, या जो भी नाम तुम देना चाहो दे सकते हो। काम –क्रिया के माध्यम से व्यक्ति अपनी तरह कुछ और शरीरों को जन्म दे सकता है। कामवासना सृजनात्मक ऊर्जा है, वह बच्चों का निर्माण कर सकती है। जब व्यक्ति की ऊर्जा सहस्रार की ओर, सातवें चक्र की ओर गतिमान होती है, तो व्यक्ति स्वयं को जन्म देता है. यही है पुनर्जन्म। जीसस का यही मतलब है जब वे कहते हैं कि बी रिबोर्न। तब व्यक्ति स्वयं को ही जन्म देकर अपना माता -पिता हो जाता है। तब सूर्य -केंद्र पिता हो जाता है, चंद्र केंद्र मा हो जाती है, और भीतर के सूर्य और चंद्र का मिलन व्यक्ति की ऊर्जा को सिर की ओर, सहस्रार की ओर मुक्त कर देता है। यह एक इनर आगोंज्म है -इसे सूर्य और चंद्र का मिलन कह लो, या इसे शिव और शक्ति का मिलन कह लो, या तुम्हारे भीतर के पुरुष और स्त्री का सम्मिलन कह लो। हम पुरुष और स्त्री में विभक्त हैं। इसे ठीक से समझ लेना। तुमने कभी गौर किया, बाएं हाथ का उपयोग करने वाले लोगों को दबा दिया जाता है! अगर कोई बच्चा बाएं हाथ से लिखता है, तो तुरंत पूरा समाज उसके खिलाफ हो जाता है -माता -पिता, सगे - संबंधी, परिचित, अध्यापक सभी लोग एकदम उस बच्चे के खिलाफ हो जाते हैं। पुरा समाज उसे दाएं हाथ से लिखने को विवश करता है। दायां हाथ सही है और बायां हाथ गलत है। कारण क्या है? ऐसा क्यों है कि दायां हाथ सही है और बायां हाथ गलत है? बाएं हाथ में ऐसी कौन सी बुराई है, ऐसी कौन सी खराबी है? और दुनिया में दस प्रतिशत लोग बाएं हाथ से काम करते हैं। दस प्रतिशत कोई छोटा वर्ग नहीं है। दस में से एक व्यक्ति ऐसा होता ही है जो बाएं हाथ से कार्य करता है। शायद चेतनरूप से उसे इसका पता भी नहीं होता हो, वह भूल ही गया हो इस बारे में, क्योंकि शुरू से ही समाज, घर –परिवार, माता-पिता बाएं हाथ से कार्य करने वालों को दाएं हाथ से कार्य करने के लिए मजबूर कर देते हैं। ऐसा क्यों है? दायां हाथ सर्य -केंद्र से, भीतर के पुरुष से जड़ा हआ है। बाया हाथ चंद्र-केंद्र से भीतर की स्त्री से जुड़ा हुआ है। और पूरा का पूरा समाज पुरुषोगखी पुरुष-केंद्रित है। हमारा बायां नासापुट चंद्र-केंद्र से जुड़ा हुआ है। और दायां नासापुट सूर्य -केंद्र से जुड़ा हुआ है। तुम इसे आजमा कर भी देख सकते हो। जब कभी बहुत गर्मी लगे तो अपना दायां नासापुट बंद कर लेना और बाएं से श्वास लेना-और दस मिनट के भीतर ही तुमको ऐसा लगेगा कि कोई अनजानी शीतलता तुम्हें महसूस होगी। तुम इसे प्रयोग करके देख सकते हो, यह बहुत ही आसान है। या फिर तुम ठंड से कांप रहे हो और बहुत सर्दी लग रही है, तो अपना बायां नासापुट बंद कर लेना, और दाएं से श्वास लेना; दस मिनट के भीतर तुम्हें पसीना आने लगेगा।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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