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________________ दो घड़िया लेकर उन्हें मिनिट और सेकंड के साथ मिला दिया जाए तो उनकी एक दूसरे के साथ लयबद्धता, सिन्क्रानिसिटी हो जाती है जब एक घड़ी में एक सुई बारह के अंक पर आए तो दूसरी घड़ी बारह के घंटे बजा दे। एक घड़ी बस चलती है, समय दर्शाती है, दूसरी घड़ी घंटे बजाती है – म्यारह, बारह, एक, दो। जो कोई भी सुनेगा वह चकित हो जाएगा। क्योंकि पहली घड़ी दूसरी घड़ी के घंटे' बजने का कारण नहीं है। उनका आपस में कोई संबंध नहीं है केवल घड़ी बनाने वाले ने इतना ही किया है उन्हें इस ढंग से बनाया है कि अगर एक घड़ी में कुछ घटता है, तो तत्काल ही दूसरी घड़ी में भी कुछ हो जाता है। वे कार्य और कारण के द्वारा आपस में संबंधित नहीं हैं। जुंग कहता है कि कार्य-कारण के साथ ही एक और सिद्धांत अस्तित्व रखता है। अगर कहीं कोई सृष्टि को बनाने वाला है, तो उसने सृष्टि की रचना इस ढंग से की है कि इस सृष्टि में ऐसा बहुत कुछ घटित होता है जिसका कार्य और कारण से कोई संबंध नहीं है। तुमने किसी स्त्री को देखा और अचानक तुम्हारे हृदय में प्रेम उठ आता है। अब इस बात का कार्य और कारण से, या सिन्क्रानिसिटी से इसका कोई संबंध है? का ज्यादा ठीक प्रतीत होता है और सत्य के ज्यादा करीब लगता है। स्त्री पुरुष में प्रेम को उत्पन्न करने का कारण नहीं हो सकती, न ही पुरुष स्त्री में प्रेम के उत्पन्न करने का कारण हो सकता है। लेकिन पुरुष और स्त्री, सूर्य – ऊर्जा और चंद्रऊर्जा का निर्माण इस ढंग से हुआ है कि उनके आपस में निकट आने से प्रेम का फूल खिल उठता है। यही है सिन्क्रानिसिटी, समक्रमिकता । लेकिन फ्रायड इससे भयभीत हो गया। फिर फ्रायड व का कभी आपस में एक दूसरे के निकट नहीं आ सके। फ्रायड ने का को अपना उत्तराधिकारी चुना था, लेकिन उस दिन उसने अपनी वसीयत को बदल दिया। फिर वे दोनों एक दूसरे से अलग हो गए, एक दूसरे से दूर और दूर होते चले गए। पुरुष स्त्री को नहीं समझ सकता स्त्री पुरुष को नहीं समझ सकती। स्त्री और पुरुष को समझना सूर्य और चांद को समझने जैसा ही है जब सूर्य प्रकट होता तो चांद छिप जाता है, जब सूर्य अस्त होता है तो चांद प्रकट होता है, उनका आपस में कभी मिलन नहीं होता है। वे कभी एक दूसरे के आमने सामने नहीं आते। जब व्यक्ति की आंतरिक प्रज्ञा क्रियाशील होती है तो उसकी बुद्धि, तर्क शक्ति विलीन होने लगती है। स्त्रियों में पुरुष से अधिक अंतबोध होता है। उनके पास तर्क नहीं होता है, लेकिन फिर भी उनके पास कुछ अंतर्बोध, अंतर्प्रज्ञा होती है और उन्हें जो अंतबोध होता है वह अधिकांशतः सच ही होता है। - बहुत से पुरुष मेरे पास आकर कहते हैं कि अजीब बात है अगर हम किसी दूसरी स्त्री के प्रेम में पड़ जाते हैं और अपनी पत्नी को नहीं बताते, तो भी किसी न किसी तरह उसे मालूम हो ही जाता है। लेकिन हमें कभी मालूम नहीं होता कि पत्नी किसी अन्य पुरुष के प्रेम में पड़ी है या नहीं?
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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