SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 311
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कि उसे होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है जब तुम कामवासना की कल्पना कर रहे होते हो, कामवासना के स्वप्नों में खोए होते हो, उस समय तुम अपने को ज्यादा आनंदित अनुभव करते हो, और जब स्त्री के साथ प्रेम कर रहे होते हो उस समय तुम्हें जरा भी आनंद का अनुभव नहीं कर होता है, बिलकुल भी आनंदित नहीं होते हो। उस समय क्या होता है? हम यह जानते ही नहीं हैं कि हमारा केंद्र कहां पर है। लेकिन जब कोई व्यक्ति साक्षी को उपलब्ध हो जाता है, तो कौन सा केंद्र किस जगह है, उसके प्रति वह बोधपूर्ण हो जाता है उस केंद्र के प्रति वह होश से भर जाता है। और जब व्यक्ति बोध और होश से भर जाता है, तभी कुछ घटने की संभावना होती है। जब वह केंद्र कानों में होता है, तो वह कानों को ऊर्जा प्रदान –करती है। उस समय अगर उन क्षणों का ठीक से उपयोग किया जा सके, तो व्यक्ति एक कुशल संगीतकार बन सकता है। जब वह केंद्र आंखों में होता है, अगर उस क्षण का उपयोग ठीक से किया जाए, तो व्यक्ति एक कुशल चित्रकार, या एक कुशल कलाकार बन सकता है। तब वृक्षों का हरा रंग कुछ अलग ही दिखायी पड़ता है। तब गुलाब के फूलों का खिलना और उनका गुणधर्म कुछ अलग ही हो जाता है, तब उनके साथ एक प्रकार का तादात्म्य स्थापित हो जाता है। अगर वह काम–केंद्र जिह्वा पर आ जाए, तो व्यक्ति एक बड़ा वक्ता बन सकता है-अपने बोलने के माध्यम से वह लोगों को सम्मोहित. कर सकता है। तब एक शब्द भी जब सुनने वालों के हृदय में उतरता है, तो लोग एकदम सम्मोहित हो जाते हैं। यही वे क्षण होते हैं अगर व्यक्ति का काम-केंद्र आंखों में है, तो बस किसी की तरफ एक दृष्टि का पड़ना और वह व्यक्ति सम्मोहित हो जाता है। तब व्यक्ति चुंबक की तरह हो जाता है; उसमें सम्मोहन की शक्ति आ जाती है। जब काम -केंद्र हाथों में आ जाता है, तो फिर किसी भी चीज को, छूने भर से वह सोना बन जाती है। क्योंकि काम –ऊर्जा जीवन से भरी हई ऊर्जा हैं। और यही बात चंद्र-केंद्र के संबंध में भी सत्य है। अभी तक मैंने केंद्रों की स्थिर स्थितियों के विषयों पर बात की है। साधारणतया वे वहीं पाए जाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ स्थिर नहीं है, सभी कुछ गतिवान है। अगर व्यक्ति का मृत्यु -केंद्र उसके हाथ में है और तब अगर ऐसे व्यक्ति को डाक्टर दवाई भी देगा तो भी रोगी मर जाएगा। चाहे चिकित्सक कुछ भी करे, तो भी रोगी को बचाना संभव नहीं है। भारत मैं यह कहा जाता है, 'डाक्टर के पास चिकित्सक के हाथ होते हैं जो कुछ भी वह छूता है, वह दवा बन जाती है। और जो डाक्टर ऐसा न हो, उसके पास भूलकर मत जाना क्योंकि तब कोई साधारण सी बीमारी का भी वह इलाज नहीं कर पाएगा, और मरीज की हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो जाएगी। इस मामले में योगी एकदम सचेत और जागरूक होता है। आयुर्वेद, जो चिकित्सा विज्ञान भारत में योग के साथ-साथ ही विकसित हआ है, उसके अंतर्गत चिकित्सक को योगी भी होना पड़ता था। जब
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy