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________________ 6-एक शराबी की दूसरे से गुफ्तगू: आपकी शराब सबसे मधुर और मीठी है। 7-क्या कभी आप झूठ बोलते है? पहला प्रश्न: भगवान आपके शिष्य अचानक संबोधि को उपलब्ध होगे या धीरे-धीरे चरण दर चरण विकास के द्वारा सबुद्ध होंगे? आपका मार्ग-विहीन मार्ग प्रत्येक व्यक्ति के लिए है या केवल कुछ थोड़े से भ लोगों के लिए ही है? पहली बात जो समझ लेने जैसी है वह यह है कि यह शब्द 'उपलब्धि' आध्यात्मिक नहीं है। यह तुम्हारे लालच का ही एक हिस्सा है। उपलब्ध होने का विचार ही सांसारिक है। फिर तुम चाहे सम्मान पाना चाहो या धन या पद या परमात्मा या निर्वाण, उससे कुछ अंतर नहीं पड़ता। उपलब्ध होने की आकांक्षा ही सांसारिक है, वह पदार्थ के जगत का ही अंग है। आध्यात्मिक क्रांति केवल तभी संभव है जब हम उपलब्ध होने के इस लालच को भी गिरा देते हैं, जब कुछ होने का, कुछ पाने का विचार ही छूट जाता है। हम वही हैं। हम वहीं हैं ही, इसलिए उपलब्ध होने के लालच में मत पड़ो। हम जिसे पाने की कोशिश कर रहे हैं, उसके अतिरिक्त हम कभी कुछ और थे ही नहीं। परमात्मा तो अभी भी इस क्षण हमारे भीतर विदयमान है -स्वस्थ और प्रसन्न है। क्योंकि परमात्मा हमसे या जीवन से अलग नहीं है। लेकिन हमारा अपना लोभ ही समस्या है; और हमारे लोभ के कारण ही इस पृथ्वी पर शोषण करने वाले लोग हमेशा रहे हैं, जो उपलब्ध होने का मार्ग दिखाते हैं। मेरा पूरा प्रयास, मेरा पूरा जोर यहां इसी बात के लिए है कि तुम्हें इस बात का बोध हो जाए कि जो पाना है वह पहले से ही तुममें मौजूद है। किसी उपलब्धि का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता। भविष्य का कोई सवाल ही नहीं है। जैसे ही हम उपलब्धि की भाषा में सोचने लगते हैं, तो भविष्य सामने आ जाता है। और यह भी एक तरह कि आकांक्षा ही है। इसका मतलब है कि हम वह हो जाना चाहते हैं
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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