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________________ ........और यह अवस्था शाति की अवस्था के भी पार की थी, और तामिनो हमेशा -हमेशा. के लिए उसमें बने रहने में ही आनंदित अनुभव कर रहा था। लेकिन जैसा कि होना था, एक दिन वह ध्यान करने के लिए अपने मठ के निकट जुगल में गया। और जैसे ही वह बैठा, ध्यान में खो गया। कुछ ही देर बाद एक यात्री वहां से गुजरा। उस यात्री पर चोरों के एक गिरोह ने हमला कर दिया और उसे घायल कर दिया। उसका सभी सामान लूट लिया, और यह समझकर कि वह मर गया है, उस यात्री को वहीं छोड़कर वे भाग गए। वह घायल यात्री सहायता के लिए तामिनो को पुकारता रहा ' लेकिन तामिनो तो अपनी ध्यानस्थ अवस्था में बैठा हुआ था, उसे तो कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था और न ही कुछ सुनाई दे रहा था तामिनो वहा पर बैठा हुआ था, और वह यात्री वहां पर घायल पड़ा हुआ था, और वह यात्री बार -बार सहायता के लिए पुकार रहा था। लेकिन तामिनो ध्यान में इतना तल्लीन था कि उसे उस यात्री की किसी प्रकार की कोई आवाज सुनाई ही न दी। उसे कुछ सुनाई नहीं दिया, उसे कुछ दिखाई न दिया-उसकी आंखें जरूर खुली थीं, लेकिन वह उन आंखों में मौजूद न था। वह अपने अंतर्तम की गहराई में उतर गया था। बस केवल परिधि पर उसका शरीर ही श्वास ले रहा था, लेकिन वह परिधि पर मौजूद न था। वह अपने अंतस्तल के केंद्र पर विराजमान था। और वह यात्री खून से लथपथ जमीन पर पड़ा हुआ था, और उसी समय तामिनो अपने शरीर में लौटा, अपनी इंद्रियों के प्रति होश में आया। उस खून से लथपथ घायल यात्री को देखकर तामिनो तो स्तब्ध रह गया और बड़ी देर तक उसे समझ ही न आया कि वह क्या देख रहा है। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे जब व्यक्ति अपने अंतस्तल की गहराई में डूब जाता है, तो उसे फिर से शरीर की परिधि के साथ जड़ने में थोड़ा समय लगता है। केंद्र पर व्यक्ति बिलकुल ही अलग तरह का होता है। केंद्र पर व्यक्ति एकदम अज्ञात जगत में होता है। और केंद्र से वापस आकर परिधि के साथ ताल-मेल बिठा पाना थोड़ा कठिन होता है। यह वैसा ही है जैसे कि कोई चांद से पृथ्वी पर वापस आए जब कोई चांद से पृथ्वी पर वापस आता है, तो तीन सप्ताह तक उसे एक विशेष घर में रखा जाता है, जो विशेष रूप से उनके लिए तैयार जाता है -ताकि वह फिर से पृथ्वी पर चलने के लिए तैयार हो सके। अगर चांद से लौटकर व्यक्ति सीधे अपने घर चला जाए, तो वह पागल हो जाएगा, या उनका मस्तिष्क विकृत हो जाएगा, क्योंकि चांद की दुनिया बिलकुल ही अलग ढंग की होती है। चांद पर गुरुत्वाकर्षण अधिक नहीं है - पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का आठवें भाग के बराबर ही चांद पर गुरुत्वाकर्षण होता है –चांद पर व्यक्ति साठ फीट, सत्तर फीट तक बड़ी आसानी से कूद सकता है। कोई किसी की भी छत पर कूद सकता है, कोई परेशानी नहीं है। चांद पर गुरुत्वाकर्षण नहीं के बराबर होता है। और चांद एकदम खाली है, वहां
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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