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________________ मने एक सुंदर कथा सुनी है। एक बहुत बड़ा मूर्तिकार था, वह एक चित्रकार और साथ ही, एक महान कलाकार भी था। उसकी कला इतनी श्रेष्ठ थी कि जब वह किसी आदमी की प्रतिमा बनाता था, तो आदमी और प्रतिमा के बीच भेद करना कठिन होता था। वह प्रतिमा इतनी सजीव, इतनी जीवंत और ठीक वैसी ही होती थी जैसा आदमी हो। एक ज्योतिषी ने उसे बताया कि उसकी मृत्यु होने वाली है, शीघ्र ही उसकी मत्य हो जाएगी। स्वभावत:, वह तो बहत ही घबरा गया, और एकदम डर गया और जैसा कि प्रत्येक आदमी मृत्यु से बचना चाहता है, वह भी मृत्यु से बचना चाहता था। उसने इसे विषय पर खूब सोचा विचारा, ध्यान किया, और अंततः उसे एक सूत्र मिल ही गया। उसने अपनी ही ग्यारह प्रतिमाएं बना डाली। जब मृत्यु ने उसके द्वार पर दस्तक दी और मृत्यु का देवता भी आ गया तो वह अपनी ही बनाई हुई ग्यारह प्रतिमाओं के बीच छिपकर खड़ा हो गया। अपनी श्वास को रोककर वह उन ग्यारह प्रतिमाओं के बीच छिपकर खड़ा हो गया। मृत्यु का देवता भी थोड़ा सोच – विचार और उलझन में पड़ गया, उसे अपनी ही आंखों पर भरोसा नहीं आ रहा था। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था, यह तो एकदम ही अजीब और अनहोनी घटना थी। परमात्मा तो कभी एक जैसे दो आदमी बनाता ही नहीं है, परमात्मा तो हमेशा एक तरह का एक ही आदमी बनाता है। उसका भरोसा एक ही जैसे दो आदमी बनाने में बिलकुल नहीं है। वह एक ही तरह का उत्पादन नहीं करता। परमात्मा कार्बन -कॉपी के बहुत खिलाफ है, वह तो केवल मौलिक का ही निर्माण करता है। फिर ऐसा कैसे हो गया? सभी बारह के बारह आदमी एक जैसे? बिलकुल एक जैसे? अब मृत्यु उनमें से किसे ले जाए? क्योंकि ले जाना तो केवल एक आदमी को ही था। अंतत: मत्य और मत्य का देवता कोई निर्णय न ले सके। वे तो उलझन में पड़ गए, और चिंतित, परेशान घबराकर वापस लौट गए। उन्होंने परमात्मा से पूछा, आपने यह क्या किया? बारह आदमी बिलकुल एक जैसे! और मुझे उन में से केवल एक आदमी को ही लाना है। बारह आदमियों में से मैं एक का चुनाव कैसे करूं? परमात्मा हंसा और परमात्मा ने मृत्यु के देवता को अपने निकट बुलाकर उसके कान में एक मंत्र फूंक दिया। और परमात्मा ने उसे सूत्र दिया कि सत्य और असत्य 'के बीच कैसे भेद करना होता है। परमात्मा ने उसे मंत्र दिया और उससे कहा, बस अब जाकर इस मंत्र का उच्चारण उस कमरे में कर दो, जहां उस कलाकार ने स्वयं को अपनी ही प्रतिमाओं के बीच छिपाया हुआ है। मृत्यु के देवता ने परमात्मा से पूछा, 'यह सूत्र कैसे काम करेगा?' परमात्मा ने कहा, 'चिंता मत करो। बस जाओ और जैसा मैंने कहा है, वैसा करो।' मृत्यु का देवता आ गया। लेकिन उसे अभी भी भरोसा नहीं आ रहा था कि यह सूत्र कैसे काम करेगा। लेकिन जब परमात्मा ने कह दिया था, तो उसे वैसा करना ही था। वह उस कमरे में पहुंचा, उसने चारों
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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