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________________ इसे मात्र विश्वास ही मत रहने. देना। इसे अपने जीवन की समझ बनने देना। केवल तभी यह तुम्हारे लिए उपयोगी और सार्थक हो सकती है। ......और जोखिम उठाने के लिए मुझे निर्णय लेने होंगे।' निस्संदेह व्यक्ति को निर्णय लेने ही होते हैं। और यह जीवन की सुंदरतम बातों में से एक बात है कि आदमी को निर्णय लेना ही पड़ता है। आदमी के निर्णय लेने की क्षमता ही यह दर्शाती है कि आदमी स्वतंत्र है। तुम चाहोगे तो यह कि कोई दूसरा तुम्हारे लिए निर्णय ले, तब तो तुम गुलाम हो जाओगे। इससे तो जानवर कहीं अधिक अच्छी हालत में हैं-उनके लिए सभी कुछ पहले से ही तय है। उनका भोजन निश्चित है,..जीवन जीने का एक निश्चित ढाचा उनके पास है। वे स्वयं कोई निर्णय नहीं लेते, वे कभी चिंता, परेशानी और उलझन में नहीं पड़ते। आदमी ही एकमात्र ऐसा जानवर है जो हमेशा उलझन से भरा रहता है, लेकिन यही उसका गौरव भी है, क्योंकि उसे निर्णय लेना ही होता है। मनुष्य हमेशा हिचकिचाहट में ही रहता है, हमेशा दो विकल्पों के बीच ही झूलता रहता है-ऑसिसी के संत फ्रांसिस, कि संत फ्रांसिस जेवियर-और जोखिम सदा विदयमान रहता है। थोड़ा उस आदमी के बारे में सोचो। अगर आकाश से उतरा वह हाथ ऑसिसी के संत फ्रांसिस का हो और वह कहे संत फ्रांसिस जेवियर –तो बस बात खतम। लेकिन निर्णय लेना ही पड़ता है। निर्णय के दवारा ही आत्मा का जन्म होता है निर्णय लेने के माध्यम से ही तुम पूर्ण होते हो। निर्णय लो–चाहे निर्णय तुम्हारा कुछ भी हो। अनिश्चिय की हालत में डांवाडोल मत बने रहो। अगर तुम अनिश्चय की हालत में डांवाडोल स्थिति में रहते हो तो तुम हमेशा द्वंद्व में रहोगे। तुम एकसाथ एक ही समय में दोनों ओर बढ़ते रहोगे -क्योंकि बिना निर्णय के भी जीना तो पड़ता ही है। फिर तुम्हारा पचास प्रतिशत मन उत्तर की ओर जाएगा, और पचास प्रतिशत दक्षिण की ओर जाएगा। और तब सिवाय दुख, पीड़ा, व्यथा, संताप और परेशानी के कुछ भी हाथ नहीं आता है। एक आदमी तेजी से इनकम टैक्स के ऑफिस में घुसा और मैनेजर का गिरेबान पकड़कर बोला, 'सुनो, मैं बहुत घबराया हुआ हूं। मेरी पत्नी कहीं खो गयी है।' अधिकारी ने कहा, 'क्या सचमुच वह खो गयी है। यह तो बहुत ही बुरा हुआ, लेकिन यह तो इनकम टैक्स आफिस है। आपको तो पुलिस को खबर करनी चाहिए।' इस पर वह आदमी गंभीर मुद्रा में अपना सिर हिलाते हुए बोला, 'यह तो मैं जानता हूं। लेकिन अब मैं फिर से धोखा खाने वाला नहीं हूं। पिछली बार जब मेरी पत्नी खो गयी थी, तो मैं पुलिस के पास ही गया था और पुलिस ने उसे खोज निकाला था।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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