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________________ मेरा ऐसा विश्वास है कि विकसित होने के लिए मुझे जोखिम उठाने होंगे और जोखिम उठाने के लिए मुझे निर्णय लेने होंगे फिर जब मैं निर्णय लेने का प्रयत्न करता हूं तो चिंतित हो जाता हूं कि मैं कहीं गलत चुनाव न कर लूं जैसे कि मेरा जीवन इसी पर ही. निर्भर करता हो आखिर यह कैसा पागलपन यह बात तुमको अभी भी विश्वास जैसी ही मालूम हो रही है, यह तुम्हारी समझ नहीं बनी है। विश्वास से कोई मदद नहीं मिलने वाली है। विश्वास का अर्थ होता है, उधार। विश्वास का अर्थ होता है, तुम्हें अभी भी समझ नहीं है। शायद तुम समझ से आकर्षित हो गए हो, या तुमने ऐसे लोग देखे होंगे जिन्होंने जोखिम उठाई है और जोखिम के माध्यम से उनका विकास हुआ है। लेकिन तो भी तुमने अभी तक यह नहीं जाना है कि जोखिम ही जीने का एकमात्र ढंग है, और दूसरा कोई मार्ग नहीं है। जिंदगी में अगर जोखिम न हो तो कुछ गलत हैं; जोखिम के साथ कुछ भी गलत नहीं है। जोखिम उठाने में तुम गलत नहीं हो सकते, क्योंकि अगर तुम जोखिम से हमेशा भयभीत रहो, कि कहीं कुछ गलत हो जाएगा, तब तो तुम जोखिम उठा ही नहीं रहे हो। अगर हर बात की पूरी गारंटी हो और फिर तुम जोखिम उठाओ, और सभी कुछ पहले से ही निर्धारित हो और सभी कुछ ठीक-ठाक हो, तभी तुम जोखिम उठाओ-तो फिर जोखिम हुआ ही कहा? नहीं, जोखिम में गलत हो जाने की संभावना होती है; इसीलिए तो उसे जोखिम कहा जाता है। और यह जानते हुए कि जोखिम में कुछ ठीक भी हो सकता है, और कुछ गलत भी हो सकता है, फिर भी जोखिम उठाने में संकोच न करना, सुंदर है। और व्यक्ति का विकास जोखिम के साथ ही, रिस्क के साथ ही होता है, क्योंकि अगर तब कुछ गलत भी होगा, तो फिर पहले जैसे बने रहना संभव नहीं है। उस गलती के माध्यम से कुछ समझ विकसित हो जाती है। और अगर कहीं भटक भी जाओ तो जिस क्षण तुम्हें भटकने का बोध हो. जाए उसी क्षण तुम वापस लौट सकते हो। और जब वापस लौटना होता है तो कुछ सीखकर ही वापस लौटना होता है -और निश्चित ही उस सीखने में बहुत कीमत चुकानी पड़ती है। और तब वह सीखना मात्र स्मरण का सीखना नहीं होता है, वह सीखना खून, हड्डी, मांस –मज्जा का अंग बन जाता है। इसलिए भटकने से कभी भी मत डरना। जो लोग भटकने से डरते हैं, वे लोग पंग हो जाते हैं। वे कभी जोखिम उठाने की चेष्टा ही नहीं करते हैं।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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