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________________ अब बहुत हो चुका अब और अधिक समय मत गवाओ। अब जीवन के प्रत्येक क्षण, प्रत्येक पल का उपयोग, जीवन की श्वास-श्वास का उपयोग अब केवल एक ही बात के लिए करो कि कैसे अधिकाधिक जागरूक हो जाएं, कैसे अधिकाधिक होश से भर जाएं। मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं: दो यहदी स्त्रियां, सराह और ऐमी, बीस वर्ष के बाद मिलीं। वे दोनों कालेज में साथ-साथ पढ़ी थीं और उनमें आपस में बड़ी गहरी मित्रता थी। लेकिन बीस वर्ष से न तो वे एक-दूसरे से मिली थीं और न उन्होंने एक-दूसरे को देखा था। जब इतने वर्षों के बाद वे मिलीं, तो पहले वे प्रेमपूर्वक एक-दूसरे के गले मिलीं, एक-दूसरे को खूब चूमा। फिर सराह ने पूछा, 'ऐमी तुम कैसी हो?' 'एकदम ठीक। इतने वर्षों के बाद तुम से मिलना कितना अच्छा लग रहा है। और तुम अपनी सुनाओ सराह, तुम कैसी हो?' 'शायद तुम्हें यह जानकर और सुनकर हैरानी होगी कि जब हेरी और मेरी शादी हुई तो वह मुझे हनीमून पर ले गया-तीन महीने मेडीटेरेनीयन में और एक महीने हम लोग इजरायल में थे! यह सब जानकर तुम्हें कैसा लग रहा है?' 'फैंटास्टिक!' एमी ने कहा। 'फिर जब हनीमून के बाद हम घर वापस लौटे तो हेरी ने मुझे वह नया घर दिखाया जो उसने मेरे लिए खरीदा था। उस घर में सोलह कमरे थे, दो स्वीमिंग मूल थे और एक नयी मर्सिडीज कार थी। तुम्हें कैसा लग रहा है यह सुनकर ऐमी? 'फैंटास्टिक!' 'और अब हमारी शादी की बीसवीं वर्षगांठ की खुशी में उसने मुझे यह हीरे की अंगूठी दी है -दस कैरट की।' 'फेंटास्टिक। 'और अब हम समुद्री जहाज से पूरी दुनिया घूमने जाने वाले हैं।' 'वाह! फेंटास्टिक!'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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