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________________ संसार में दो तरह के लोग हैं। निन्यानबे प्रतिशत लोग हैं जो अकेले नहीं जा सकते। अकेले अगर वे खोजने का प्रयास करेंगे, तो वे हमेशा गहरी नींद में ही सोए रहेंगे। अकेले यात्रा करना, स्वयं के सहारे यात्रा करना, इसकी संभावना कम ही होती है। उन्हें कोई चाहिए जो कि उन्हें जगा दे; उन्हें कोई चाहिए जो उन्हें झंझोड़कर, उन्हें आघात करके, उन्हें चोट करके उन्हें उनकी नींद से जगा दे। उन्हें कोई चाहिए जो उनकी मदद करे। लेकिन दूसरी तरह के लोग भी हैं। जो कि केवल एक प्रतिशत हैं, जो अपना मार्ग स्वयं ही खोज -सकते हैं। बुद्ध इसी प्रथम रूप से संबंधित हैं। बदध विरले लोगों में से हैं, जो एक प्रतिशत ही होता है। सिद्धार्थ भी इसी एक प्रतिशत वाले मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है। वह बुद्ध को समझता है, वह बुद्ध से प्रेम करता है, वह बुध का आदर करता है, उसकी बुध पर श्रद्धा है, वह बुदध के प्रति भक्ति-भाव से भरा है। बुद्ध को छोड़कर जाते समय उसका हृदय बहुत ही उदास और पीड़ा से भर गया, लेकिन साथ ही वह जानता है कि उसे जाना ही होगा। उसे अपना मार्ग स्वयं ही खोजना होगा। उसे सत्य को स्वयं ही पाना होगा। वह बुद्ध की छाया नहीं बन सकता है, बुद्ध की छाया बनना उसके लिए संभव नहीं है, क्योंकि उसका वैसा ढंग नहीं है। लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने से ही खोज करनी है। इस सदी में दो लोग बहुत महत्वपूर्ण हुए हैं. गुर्जिएफ और कृष्णमूर्ति। उनके होने के ढंग बिलकुल भिन्न हैं। कृष्णमूर्ति इस बात पर जोर देते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं पर ही निर्भर होना है। अकेले ही खोजना है और अकेले ही पहंचना है। और गर्जिएफ का जोर इस बात पर है कि सामहिक प्रयास की आवश्यकता है -अकेले तो व्यक्ति कभी भी कैद से बाहर नहीं आ सकेगा। उन सभी शक्तियों से जो मनुष्य के लिए कैद का निर्माण कर रही हैं, उनका सामना करने के लिए सभी कैदियों को एकसाथ मिलना होगा। और सभी कैदियों को एकसाथ कैद से बाहर आने के साधन और तरीके खोजने होंगे -और उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति का सहयोग चाहिए जो कैद से बाहर हो। अन्यथा वे बाहर आने का मार्ग न खोज पाएंगे, वे खोज न पाएंगे कि इस कैद से बाहर कैसे निकलना है। उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति का सहयोग और मदद चाहिए जो कभी जेल में था और किसी भांति बाहर निकल आया है. ऐसा व्यक्ति ही सदगुरु होता है। दोनों में कौन ठीक है? कृष्णमूर्ति को मानने वाले गुर्जिएफ की न सुनेंगे, गर्जिएफ को मानने वाले कृष्णमूर्ति की न सुनेंगे, और अनुयायी हमेशा यही सोचते हैं कि दूसरा गलत है। लेकिन मैं तुम से कहता हूं कि दोनों सही हैं, क्योंकि मनुष्य-जाति में दोनों तरह के लोग हैं। और कोई किसी से ऊपर नहीं है। तुम किसी भी तरह के मूल्यांकन करने की कोशिश मत करना। ठीक ऐसे ही जैसे कोई स्त्री है और कोई पुरुष है-कोई किसी से ऊंचा नहीं है कोई किसी से नीचा नहीं है, उनकी शरीर संरचना अलग - अलग ढंग की है। कुछ लोग हैं जो अकेले ही पा सकते हैं और उन्हें किसी की मदद की और सहयोग की जरूरत नहीं है –लेकिन इसमें और कुछ लोग हैं जिन्हें
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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