SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नयी धुन के साथ थिरकने लगता है, उसके अस्तित्व में एक नया गीत, नई धुन सुनायी देने लगती है। वह परम आनंद में डूब जाती है। कोई भी संभोग का अनुभव इतना गहरा नहीं होता, जितना कि स्त्री के मां बनने का अनुभव होता है। लेकिन अभी तो ठीक इसके विपरीत हो रहा है। स्त्री का रोआं -रो0 आनंदित होने की अपेक्षा, वह एक भयंकर पीड़ा से गुजरती है। और वह पीड़ा से इसलिए गुजरती है, क्योंकि बच्चे को जन्म देते समय वह संघर्ष करती है। बच्चा बाहर आ रहा होता है, बच्चा गर्भ छोड़ रहा होता है, बच्चा बाहर आने को तैयार होता है -वह बाहर बड़े विशाल संसार में आने को तैयार होता है -और मां बच्चे को पकड़े रहती है, उसे बाहर आने में मदद नहीं देती है। वह बंद रहती है, बच्चे को बाहर आने में मदद करना तो दूर, वह उसके बाहर आने में बाधा डालती है। वह खुली नहीं होती है। अगर स्त्री सच में ही बंद रहे तो बच्चे को मार भी डाल सकती है। ऐसा ही सार्च के साथ हो रहा है सार्च के गर्भ में बच्चा तैयार है, और उसने सच में गर्भ धारण किया है, लेकिन अब वह बच्चे को जन्म देने से भयभीत है। अब नहीं ही उसके जीवन का एकमात्र ध्येय बन गया है, जैसे कि स्वयं गर्भ ही ध्येय हो, बच्चा ध्येय न हो। जैसे कि किसी स्त्री को गर्भ ढोने में इतना आनंद आता हो कि बच्चे को जन्म देने से वह भयभीत हो कि अगर बच्चा पैदा हो गया तो वह कुछ खो देगी। लेकिन गर्भावस्था जीवन-शैली नहीं बननी चाहिए। गर्भावस्था तो एक प्रक्रिया है, वह प्रारंभ होती है और समाप्त होती है। उसे पकड़ना नहीं चाहिए। सात्र उसे पकड रहा है, उससे चिपक रहा है, वहीं पर वह चूक रहा है। दुनिया में ऐसे बहुत से नास्तिक हैं, जो व्यर्थ के नास्तिक हैं। थोड़े से नास्तिक हैं, जो सच्चे अर्थों में नास्तिक हैं। लेकिन अगर कोई सच्चे अर्थ में नास्तिक हो, तब भी वह चूक सकता है। किसी भी तरह के विचार को, या दृष्टि को अपना सिद्धांत मत बन जाने देना, क्योंकि अगर एक बार वह हमारा सिद्धांत बन जाती है तो उसके साथ हमारा अहंकार जुड़ जाता है, और तब फिर हम उसका सब भांति बचाव करते हैं, उसके बचाव के लिए तर्क करते हैं, और उसे सिद्ध करने के लिए सभी प्रकार के प्रमाण जुटाते हैं। अमिताभ ने एक छोटी सी कहानी भेजी है। उसे समझना ठीक होगा ब्रुकलिन के एक यहूदी संत ने एक दूसरे यहूदी संत से पूछा, 'वह हरी चीज क्या है जो दीवार पर लटकी रहती है और सीटी बजाती है?' एक पहेली : कि वह हरी चीज कौन सी है, जो दीवार पर लटकी रहती है और सीटी बजाती है? दूसरे यहूदी संत ने गंभीरता पूर्वक कहा, 'मैं नहीं जानता।' पहले संत ने कहा, 'एक लाल हिलसा।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy