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________________ क्या मेरा यह अनुमान ठीक है कि आपकी यात्रा क्रमिक बुद्धत्व की रही? जब बुद्धत्व घटित हुआ तो क्या आपने नृत्य किया? म अभी भी नृत्य कर रहा हूं। यदि तुम्हारे पास दृष्टि है तो तुम देख सकते हो। यदि तुम्हारे पास दृष्टि नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं? और बुद्धत्व क्रमिक नहीं होता; बुद्धत्व सदा अचानक ही होता है। तुम क्रमिक रूप से तैयार हो सकते हो, तुम अचानक तैयार हो सकते हो, लेकिन बुद्धत्व सदा अचानक ही होता है। वह घटता है क्षण में। ऐसा नहीं है कि कोई पचास प्रतिशत बुद्ध है, कि साठ प्रतिशत बुद्ध, कि सत्तर प्रतिशत बुद्ध-नहीं। अभी क्षण भर पहले कोई सौ प्रतिशत अबद्ध था, और क्षण भर बाद वह सौ प्रतिशत बुद्ध हो जाता है। वह अचानक ही घटता है, अन्यथा तो डिग्रियां होतीं। कोई डिग्रियां नहीं होती। वह मृत्यु की भांति है. मृत्यु क्षण में ही घटती है। तुम नहीं कह सकते कि कोई आदमी आधा मृत है। यदि आधा मृत लगता भी है तो भी वह जीवित है; वह केवल वैसा दिखता है। कोई आदमी बेहोश हो सकता है, कोमा में हो सकता है, लेकिन तब भी वह पूरा जीवित है, आधा मृत नहीं। या तो तुम मृत होते हो और या तुम जीवित होते हो। और कोई ढंग होता नहीं-या तो यह या वह। बुद्धत्व सदा अचानक ही होता है। और तैयारी? यह बहुत ही सूक्ष्म बात है समझने की. तैयारी बुद्धत्व के लिए नहीं होती, तैयारी होती है तुम्हारे साहस के लिए। साहसी व्यक्ति तो इसे बिलकुल अभी उपलब्ध कर सकता है, कायर को वर्षों लगेंगे स्वयं को तैयार करने में। सारी समस्या भय की है। यदि भय गिर जाए, तो तुम मुक्त हो ही। यदि तुम अपने भय को पालते-पोसते रहते हो, तो तुम कभी मुक्त नहीं होओगे। इसलिए अपने चित में इसे स्पष्ट कर लो कि बुद्धत्व के लिए कोई तैयारी नहीं चाहिए; सारी तैयारी केवल इसीलिए है क्योंकि तुम भयभीत हो। तो यह तुम पर निर्भर करता है। जब भी तुम निर्णय करो भय को गिरा देने का, यह घट सकता है। जो पाना है वह तुमसे बाहर नहीं है; तुम पहले से ही अपने साथ उसे लिए हुए हो। यह बच्चे के जन्म जैसा ही है : एक स्त्री गर्भवती होती है-बच्चा होता ही है वहां, धड़क रहा, जीवंत, हाथ-पैर चला रहालेकिन यदि स्त्री बहुत ज्यादा भयभीत है, तो बच्चे के जन्म में बहुत समय लगेगा। यदि वह बहुत ज्यादा भयभीत है और तनाव में है तो जब बच्चा गर्भ से बाहर आना चाहेगा तो वह अपनी सारी यंत्र-संरचना भय से सिकोड़ लेगी और बच्चे को बाहर न आने देगी। बच्चे को बाहर आने के लिए एक शिथिल मार्ग चाहिए और स्त्री इतनी तनावपूर्ण है कि वह बच्चे को बाहर न आने देगी। और
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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