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________________ डर गई, क्योंकि वह गरीब आदमी था, कल सौ रुपए महीना तनख्वाह मिलती थी। दस लाख रुपए तो बहुत बड़ी बात हो जाएगी। इतनी बड़ी बात हो जाएगी कि कहीं वह मर ही न जाए! तो करें क्या? वह अपने एक पड़ोसी के यहां दौड़ी गई जो कि चर्च में पादरी था। वह एक समझदार व्यक्ति था, और कोई ज्यादा समझदार व्यक्ति उसके ध्यान में आया नहीं, तो वह उसके पास गर्द और उसने पादरी से कहा, 'आपको ही करना होगा कुछ। वे आफिस से आते ही होंगे, और अगर इतने अचानक उन्हें पता चला दस लाख रुपयों का, तो यह निश्चित है कि वे बचेंगे नहीं। मैं उन्हें अच्छी तरह से जानती जूस हैं और उन्होंने सौ रुपए से ज्यादा कभी देखे भी नहीं हैं। वे पागल हो जाएंगे या मर जाएंगे, लेकिन कुछ न कुछ होकर रहेगा। आप आएं और उन्हें बचा लें।' उस समझदार व्यक्ति ने कहा, 'मैं आ जाऊंगा। भयभीत मत होओ; मैं आता हूं।' उसने योजना बनाई, जैसे कि सभी हिसाबी-किताबी लोग योजना बनाते हैं। वह आदमी घर आया तो वह पादरी वहा बैठा हुआ था। उसने कहा, 'सुनो, तुम्हारी लाटरी लग गई है। तुमने एक लाख की लाटरी जीत ली है।' उसने सोचा था कि यह एक छोटी मात्रा होगी-उसने कल राशि को दस हिस्सों में बांट दिया था धीरे-धीरे वह कहेगा कि नहीं, एक लाख की नहीं, दो लाख की। जब वह देखेगा कि उसने झटका सह लिया है, तो वह कहेगा, तीन लाख की। लेकिन उस आदमी ने कहा, 'एक लाख रुपए! क्या यह सच है? यदि यह सच है, तो मैं आधा तुम्हारे चर्च के लिए तुम्हें दे दूंगा।' वह पादरी गिर पड़ा और मर गया। पचास हजार रुपए! वह भरोसा न कर सका इस बात पर। बहत बड़ी थी बात। तो तुम्हें चुनना है; चुनाव तुम्हारा है। यदि तुम अनुभव करते हो कि हृदय मजबूत है, तो आ जाओ मेरे साथ। यदि तुम अनुभव करते हो कि हृदय कमजोर है और संभावना है हृदय गति रुकने की, तो पतंजलि के साथ आगे बढना। वे गणित से चलते हैं। वे तुम्हें छोटी खुराकें देते हैं। लेकिन ध्यान रहे, कुछ चूक जाओगे तुम। तुम पहुंच जाओगे उसी अवस्था तक, अस्तित्व की, चैतन्य की उसी अवस्था तक-शांत, आनंदित। लेकिन उत्सव न होगा। तुम बैठ जाओगे बोधि-वृक्ष के नीचे-शांत, मौन; लेकिन तुम मीरा की भांति या चैतन्य की भांति नृत्य न कर पाओगे। और वह नृत्य अदभुत है। वह नृत्य घटित होता है अचानक उपलब्ध होने वालों को। आज इतना ही।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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