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________________ जान सकता, क्योंकि कवि प्रवेश कर चुका है घर में चाहे रात में ही सही, अंधेरे में ही सही, चाहे अनिमंत्रित ही, अतिथि के रूप में नहीं, सामने के द्वार से नहीं । धार्मिक आदमी घर में प्रविष्ट होता है अतिथि की भांति । वह उसे अर्जित करता है। और वह न केवल घर के बारें में ही जानता है, बल्कि मालिक के बारे में भी जानता है- क्योंकि वह मेहमान होता है। वह न केवल उस भौतिक घर के बारे में जानता है, बल्कि वह उस अभौतिक मालिक के बारे में भी जानता है जो कि वस्तुतः केंद्र है घर का वह घर के मालिक को भी जानता है। विज्ञान जानता है केवल पदार्थ को। कला को कई बार झलकें मिलती हैं अभौतिक की। क्योंकि चोर भी देख सकता है मालिक को, लेकिन मालिक सोया हुआ होगा। वह भी देख सकता है उसका चेहरा, लेकिन केवल अंधकार में क्योंकि वह भयभीत होता है, सदा भयभीत होता है कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। वह चोर होता है और सदा भयभीत होता है और कैप रहा होता है। लेकिन जब तुम घर में अतिथि की भांति आमंत्रित होकर आते हो, तुमने उसे अर्जित किया होता है, तो मालिक तुम्हारा आलिंगन करता है; तुम्हारा स्वागत करता है। तब तुम जानते हो सत्य के अंतरतम केंद्र को। : भारत में हमारे पास कवि के लिए दो शब्द हैं। किसी अन्य भाषा में कवि के लिए दो शब्द नहीं हैं, क्योंकि कोई जरूरत नहीं पडी। एक ही शब्द पर्याप्त होता है। वही इशारा कर देता है काव्य की घटना की तरफ 'कवि' पर्याप्त है। लेकिन संस्कृत में हमारे पास दो शब्द हैं 'कवि और ऋषि और भेद बहुत सूक्ष्म है और समझने जैसा है। 'कवि' वह है जो चोर की भांति आता है। वह सहभागी तो होता है, इसलिए वह कवि है। लेकिन उसका ज्ञान होता है टुकड़ों में किन्हीं खास क्षणों में जैसे कि कोई चोर घर के भीतर हो और अचानक आकाश में बिजली कौंध जाए और वह सारे घर को भीतर से भी देख सके लेकिन ऐसा होता है क्षण भर को ही। फिर बिजली खो जाती हैं और हर चीज स्वप्नवत हो जाती है। — तो कभी-कभी कवि का सामना हो जाता है सत्य से, लेकिन इसी तरह जैसे कि उसने उसे अर्जित न किया हो। इसीलिए कई बार आश्चर्य करोगे तुम; तुम किसी की कविता पढ़ते हों - कोई भी कविता, किसी की भी - वह तुम्हें छूती है, तुम्हारे हृदय में उतर जाती है, तुम आंदोलित हो जाते हो और तुम मिलना चाहते हो इस आदमी से जिसमें कि ये पंक्तियां अवतरित हुई हैं। लेकिन जब तुम उस आदमी से उस कवि से मिलते हो, तो तुम्हें निराशा होती है- वह एकदम सामान्य आदमी होता है , साधारण कुछ खास नहीं अपनी कविता की उड़ान में वह बड़ा असाधारण था, लेकिन यदि तुम मिलते , हो उस कवि से तो वह साधारण ही होता है। क्या हुआ? तुम नहीं मान सकते कि ऐसा सुंदर काव्य पैदा हो सकता है एक साधारण आदमी से ! - ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कवि कोई स्थायी निवासी नहीं होता मंदिर का । वह चोर होता है। कई बार वह प्रवेश करता है, लेकिन अंधेरे में ही निश्चित ही चारों ओर घूमने से तो बेहतर है यह कम से
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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