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________________ मूढ़ता एक तरह की नींद है, एक गहरी बेहोशी है। तुम कुछ बातें किए चले जाते हो, नहीं जानते हुए कि तुम क्यों कर रहे हो। तुम हजारों जाल निर्मित करते रहते हो, नहीं जानते हुए कि क्यों कर रहे हो। तुम जीवन से गुजरते हो गहन निद्रा में। वह निद्रा मूढ़ता है। मन के साथ तादात्म्य बना लेना मूढ़ता है। यदि तुम्हें स्मरण आ जाता है, यदि तुम सजग हो जाते हो और मन के साथ तुम्हारा तादात्म्य खो जाता है, यदि तुम मन नहीं रहते, यदि तुम मन का अतिक्रमण कर जाते हो, तो प्रज्ञा का आविर्भाव होता है। प्रज्ञा एक तरह का जागरण है। सोए हुए तुम मूढ़ होते हो। जागते ही मूढ़ता खो जाती है : पहली बार समझ का, प्रज्ञा का जन्म होता है। बिना अपने को जाने भी बहुत कुछ जान लेना संभव है; लेकिन तब वह सब जानना मूढ़ता का ही हिस्सा है। ठीक इससे विपरीत बात भी संभव है. स्वयं को जानना-और कुछ भी न जानना। लेकिन स्वयं को जानना पर्याप्त है बदधिमान होने के लिए; और वह व्यक्ति जो स्वयं को जानता है वह हर परिस्थिति में विवेक से काम करेगा। वह प्रतिसंवेदन करेगा। उसका प्रतिसंवेद कोई प्रतिक्रिया न होगी; वह अतीत से नहीं आएगा। वह वर्तमान में जीएगा; वह अभी और यहीं जीएगा। मूढ़ मन सदा अतीत स्मृति से काम करता है। प्रज्ञा का अतीत से कोई संबंध नहीं होता। प्रज्ञा होती है सदा वर्तमान में। मैं तुम से एक प्रश्न पूछता हूं अगर तुम्हारी प्रज्ञा से उसका उत्तर आता है, तुम्हारी स्मृति से उत्तर नहीं आता, तो तुम मूढ़ नहीं हो। लेकिन यदि उत्तर स्मृति से आता है, प्रज्ञा से नहीं तो तुम प्रश्न को देखते भी नहीं। असल में प्रश्न की तो तुम्हें फिक्र ही नहीं होती; तम्हारे पास तो अपना रेडीमेड उत्तर होता है। मल्ला नसरुददीन के विषय में कहानी है कि एक बार सम्राट उसके गाव में आने वाला था। सम्राट से मिलने में गाव वाले बहुत घबडाए हुए थे, तो उन सब ने नसरुद्दीन से कहा, 'आप हमारे प्रतिनिधि हैं। हम मूढ़ हैं, अज्ञानी हैं। केवल आप ही बुद्धिमान हैं यहां, तो कृपा करके स्थिति को सम्हाले, क्योंकि दरबारी तौर-तरीकों का हमें कुछ पता नहीं है, और सम्राट यहां पहली बार आ रहा है।' नसरुद्दीन ने कहा, 'निश्चित ही, मैंने बहुत से सम्राटों को देखा है और मैं बहुत से दरबारों में गया हूं। कोई चिंता मत करो।' लेकिन दरबारियों को भी चिंता थी गांव की, तो वे आए कि जरा देखें क्या स्थिति है। जब उन्होंने पूछा कि उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा, तो गांव वालों ने कहा, 'मुल्ला नसरुददीन हमारा प्रतिनिधि है। वह हमारा नेता है, हमारा मार्गदर्शक है, गाव का समझदार आदमी है।' तो उन्होंने मुल्ला नसरुद्दीन को कहा, 'तुम्हें बहुत फिक्र करने की जरूरत नहीं। सम्राट सिर्फ तीन ही प्रश्न पूछने वाले हैं। पहला प्रश्न होगा तुम्हारी उम्र के बारे में। तुम्हारी उम्र क्या है?' नसरुद्दीन ने कहा, 'सत्तर साल।'
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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