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________________ तपश्चर्या अशुद्धियों को मिटा देती है और इस प्रकार हुई शरीर तथा इंद्रियों की परिपूर्ण शुद्धि के साथ शारीरिक और मानसिक शक्तियों जाग्रत होती है। स्वाध्यायदिष्टदेवतासम्प्रयोगः ।। 44।। स्वाध्याय द्वारा दिव्यता के साथ एकत्व घटित होता है। समाधिसिद्धिरीश्वरप्रणिधानात् ।। 4511 समाधि का पूर्ण आलोक फलित होता है, ईश्वर के प्रति समर्पण घटित होने पर। मन एक हिमखंड की भांति है : केवल एक हिस्सा, एक छोटा सा हिस्सा, दिखाई पड़ता है सतह पर बड़ा हिस्सा भीतर छिपा होता है या मनुष्य वृक्ष की भांति है असली जीवन होता है जड़ों में, धरती के नीचे छिपा हुआ; केवल शाखाएं दिखाई पड़ती हैं। यदि तुम शाखाओं को काट दो तो नई शाखाएं उग आएंगी, क्योंकि शाखाएं स्रोत नहीं हैं; लेकिन यदि तुम जड़ों को काट दो तो वृक्ष नष्ट हो जाता है। मनुष्य का केवल एक हिस्सा ही दिखाई पड़ता है सतह पर; बड़ा हिस्सा नीचे छिपा होता है। और यदि तुम सोचते हो कि दिखाई पड़ने वाला मनुष्य ही सब कुछ है, तो तुम बड़ी भूल में हो तब तुम चूक जाते हो मनुष्य के पूरे रहस्य को और तब तुम चूक जाते हो अपने भीतर के उन द्वारों को जो तुम्हें दिव्यता तक ले जा सकते हैं। 7 यदि तुम सोचते हो कि किसी व्यक्ति का नाम जान कर उसका परिवार जान कर उसका व्यवसाय जान कर कि वह डाक्टर है कि इंजीनियर हैं कि प्रोफेसर है, कि उसके चेहरे मोहरे से उसकी तस्वीर से परिचित होकर तुमने उसे जान लिया है - तो तुम बड़े भ्रम में हो। ये तो केवल सतह की प्रतीतियां हैं। असली आदमी इन सब से बहुत - बहुत गहरे में है। इस प्रकार तुम केवल परिचित हो सकते हो, लेकिन व्यक्ति को तुम कभी जान नहीं पाते। जहां तक समाज का संबंध है इतना काफी है; इससे ज्यादा की जरूरत नहीं है। यह ऊपर-ऊपर की सतही जानकारी काफी है सांसारिक लेन-देन के लिए, लेकिन यदि तुम सच में ही उस व्यक्ति को जानना चाहते हो, तो तुम्हें गहरे उतरना होगा।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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