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________________ मनुष्यता के प्रारंभ से ही मनुष्य निर्माण करता रहा है सुंदर पुराणों का। वह निर्मित करता है परमात्मा । वह निर्मित करता है यह बात कि परमात्मा ने संसार को बनाया; और वह गढ़ता रहता है सुंदर-सुंदर कहानियां। वह कल्पनाएं बुनता रहता है, वह नई-नई कहानियां अपने चारों ओर गढ़ता रहता है। मनुष्य कहानियां गढ़ने वाला प्राणी है; और जीवन एकदम उबाऊ हो जाएगा यदि उसके आस-पास कोई कहानी न हो। आधुनिक युग की तकलीफ यही है : सारी पुरानी प्रतीक - कथाएं गिरा दी गई हैं। नासमझ बुद्धिवादियों ने बहुत ज्यादा विरोध किया उनका वे खो गई, क्योंकि यदि तुम प्रतीक कथा के विपरीत तर्क करने लगते हो, तो प्रतीक- कथा तर्क से नहीं समझी जा सकती। वह तर्क के सामने नहीं टिक सकती। वह बहुत नाजुक होती है; वह बहुत कोमल होती है। यदि तुम उसके साथ लड़ने लगते हो तो तुम उसे नष्ट कर देते हो, लेकिन उसके साथ तुम मानव - हृदय की कोई बहुत सुंदर बात भी नष्ट कर देते हो। वह कल्पित कथा ही नहीं होती कथा तो केवल प्रतीक है— गहरे में उसकी जड़ें हृदय में होती हैं। यदि तुम प्रतीक - कथा की हत्या कर देते हो तो तुमने हृदय की हत्या कर दी। - अब संसार भर के बुद्धिवादी, जिन्होंने सारी प्रतीक-कथाओं की हत्या कर दी, अब वे अनुभव कर रहे हैं कि जीवन में कोई अर्थ न रहा, कोई काव्य न रहा, आनंदित होने का कोई कारण न रहा, उत्सव मनाने का कोई कारण न रहा सारा उत्सव खो गया है। प्रतीक कथाओं के बिना संसार केवल एक बाजार रह जाएगा; सारे मंदिर खो जाएंगे। प्रतीक कथाओं के बिना सारे संबंध सौदे हो जाएंगे, उनमें कोई प्रेम न बचेगा। प्रतीक कथाओं के बिना तुम विराट शून्यता के बीच अकेले पड़ जाओगे। - - जब तक तुम बुद्धत्व को उपलब्ध नहीं हो जाते, तुम कहानियों के बिना नहीं जी सकते; अन्यथा तुम अर्थहीनता अनुभव करोगे, और गहरी चिंता पकड़ेगी, और तुम्हारे प्राण विषाद से घिर जाएंगे। तुम आत्महत्या करने की सोचने लगोगे। तुम कोई न कोई रास्ता ढूंढने लगोगे अपने को उलझाए रखने का–मादक द्रव्य, शराब, सेक्स - ताकि तुम भूल सको स्वयं को, क्योंकि जीवन तो अर्थहीन लगता है। प्रतीक- कथा देती है अर्थ प्रतीक कथा और कुछ नहीं सिवाय एक सुंदर कहानी के, लेकिन यह तुम्हें मदद देती है जीने में जब तक तुम इतने सक्षम न हो जाओ कि बिना कहानी के जी सको - यह तुम्हें मदद देती है यात्रा में, जीवन-यात्रा में। यह तुम्हारे आस-पास एक मानवीय वातावरण बना देती है, वरना संसार तो बहुत रूखा सूखा है। जरा सोचो : भारत के लोग नदियों के किनारे जाते हैं, गंगा किनारे जाते हैं वे पूजा करते हैं उनकी वह एक मिथक है; अन्यथा गंगा केवल एक नदी है। लेकिन मिथक से गंगा मां बन जाती है, और जब एक हिंदू गंगा जाता है तो यह उसके लिए एक तीर्थयात्रा हो जाती है, खुशी की बात हो जाती है। मक्का में पूजा जाने वाला पत्थर, काबा का पत्थर, पत्थर ही है। वह एक क्यूब स्टोन है, इसीलिए उसे 'काबा' कहा जाता है; 'काबा' का मतलब है खूब। लेकिन तुम नहीं जान सकते कि एक मुसलमान को
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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