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________________ फिक्र करते हो, तो वह तुम्हारा आनंद है। एक प्रकार से मैं तुम्हारी जरूरतें पूरी कर देता हूं? तुम मेरी जरूरतें पूरी कर देते हो। बात खतम। कौन किसके प्रति अनुगृहीत है, इस विषय में बात करने में कुछ सार नहीं। यह अस्तित्व अखंड है। यह 'दूसरे' की अनुभूति इसी कारण है क्योंकि 'तुम' हो। यदि तुम तिरोहित हो जाते हो, तो दूसरा भी तिरोहित हो जाता है। और फिर, अगले क्षण की फिक्र करने में कुछ सार नहीं है। यह क्षण पर्याप्त है। यह क्षण पर्याप्त है अपने आप में। आठवां प्रश्न : आपके पास आने के पहले जब मैं मादक द्रव्य लेता था तो मैं सदा अस्तित्व के साथ ज्यादा एक अनुभव करता था छह महीने आपके साथ रहने के बाद जब मैने कभी मादक द्रव्य लेना चाहा तो ठीक विपरीत अनुभव हुआ : पत्थर की तरह संवेदनहीन होकर मैने ज्यादा खंड-खंड अनुभव किया क्या आप इस घटना को स्पष्ट करोगे? स्पष्ट करने की कोई जरूरत नहीं है। यह तो स्वयं स्पष्ट है। यदि तुम न्यूरोटिक हो, तो मादक द्रव्य तुम्हें स्वास्थ्य की एक झलक देंगे, एक होने की झलक देंगे। यदि तुम खंड-खंड हो तो मादक द्रव्य तुम्हें अखंड होने का, अविभाजित होने का सपना देंगे। लेकिन यदि तुम ध्यान करते हो तो तुम सच में ही एक हो जाते हो। तब मादक द्रव्य मदद न करेंगे। यदि तुम ध्यान करते हो, तो अखंडता का बोध हो जाता है; तब सपने का कोई उपयोग न रहेगा। असल में तब मादक द्रव्य लेना विनाशकारी बात होगी : उनके द्वारा तुम खंड-खंड अन्भव करोगे। इसीलिए मैं कहता रहा हं : जो लोग मादक द्रव्यों के पीछे भाग रहे हैं उन्हें असल में ध्यान की तलाश है-वे गलत दिशा में तलाश कर रहे हैं। उनकी तलाश बिलकुल ठीक है, उनकी दिशा गलत है। मैं उनके विरुदध नहीं, क्योंकि वे खोजी हैं, उनमें प्यास पैदा हो चुकी है, लेकिन वे चल रहे हैं गलत दिशा में। उन्हें सही दिशा की ओर ले जाया जा सकता है। उन्हें ध्यान की दिशा में ले जाने के लिए और लोगों की मदद की जरूरत है। कोई सरकार कोई राज्य उनका दमन नहीं कर सकता है, यह असंभव है। जितना अधिक उनका दमन होगा, उतना अधिक वे
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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