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________________ होगा, मान-प्रतिष्ठा होगी - तब जीओगे तुम। और तुम आशा करते हो कि कल सब कुछ हो जाएगा। कल न होगा तो परसों हो जाएगा। यदि इस वर्ष न होगा तो अगले वर्ष हो जाएगा और यदि इस जीवन में न होगा तो अगले जीवन में हो जाएगा! पूरब में आशा जहां तक फैल सकती थी फैल गई है - हजारों जन्म हैं भविष्य में! यह मन की चालाकी है। एक बार तुम मन को आशा बनाने देते हो, तो वह तुम्हें खूब भटकाता है। जीवन है मात्र इसी क्षण में जीवन का और कोई काल नहीं होता, उसका केवल एक काल होता है. वर्तमान । अतीत एक स्मृति है; वह अस्तित्व का हिस्सा नहीं है। वह जा चुका है; वह कहीं है नहीं। बस मन पर बने चिह्न छूट गए हैं; स्मृति पर पड़ी रेखाएं हैं। भविष्य भी नहीं है; वह अभी आया ही नहीं । केवल यह क्षण, यह छोटा सा आणविक क्षण अस्तित्व रखता है। यदि तुम्हें जीना है, तो तुम्हें इसी क्षण में जीना है। यदि तुम जीवन चूकना चाहते हो, तो तुम आशा में जी सकते हो। लेकिन जब मैं कहता हूं 'निराशा, तो तुम मुझे गलत समझ सकते हो; क्योंकि निराशा से सदा ही तुम्हारा मतलब होता है. जब कोई आशा असफल होती है, तो तुम निराश हो जाते हो। लेकिन जब मैं निराशा शब्द का उपयोग करता हूं तो मेरा यह मतलब नहीं होता कि कोई आशा असफल हुई। मेरा मतलब है. सभी आशाएं, आशा मात्र असफल हो गई। तब तुम वस्तुतः आशा छोड़ देते हो, और वह एक सुंदर घड़ी होती है वह कोई हताश अवस्था नहीं है। ऐसा नहीं है कि तुम उदास हो । तुम बहुत बार निराश अनुभव करते हो - कोई आशा टूट जाती है। तुम प्रेम में पड़े और स्त्री ने धोखा दे दिया, या पुरुष ने धोखा दिया एक आशा टूट गई लेकिन और भी स्त्रियां हैं, और भी पुरुष हैं; आशा जी सकती है। वह नए सहारे खोज सकती है; वह नए भ्रम बना सकती है। एक भ्रम टूटता हैलेकिन तुम भ्रम निर्मित करना नहीं छोड़ते। तुम किसी मार्ग पर चलते हो। उसका अंत आ जाता है; आगे मार्ग नहीं होता; एक खाई आ जाती है तुम्हारे सामने एक मार्ग बंद हो गया। लेकिन और : लाखों मार्ग हैं सामने। जीवन एक भूल भुलैया है; तुम और और मार्गों पर जा सकते हो। तुम पूरी तरह निराश नहीं हुए हो व्यक्ति पूरी तरह निराश हो जाता है जब वह पूरे जीवन को उसकी समग्रता में देखता है और देखता है कि कहीं कोई मार्ग नहीं है, सपने देखने को कुछ नहीं है, आशा करने को कुछ नहीं है। उस निराशा में कहीं कोई उदासी नहीं होती । व्यक्ति बस जीवन के सत्य को जानता है जैसा वह है। ऐसा नहीं कि जीवन निष्फल हुआ, बस व्यक्ति देखता है 'मेरी आशाएं निष्फल गई। और जीवन किसी की आशाओं को स्वीकार नहीं करता। वह किसी की आशाओं के अनुसार नहीं चलता, वह किसी के सपने पूरे नहीं करता। जीवन असफल नहीं हुआ; केवल तुम्हारा आशा करने वाला मन असफल हो गया है। मन काम करना बंद कर देता है। थोड़ी देर तो घबड़ाहट लगती है, हर चीज अस्तव्यस्त हो जाती है; लेकिन यदि तुम इस अराजकता को जी लो तो अचानक एक नया जीवन आविर्भूत होता है तुम में ताजा, युवा, इसी क्षण का । -
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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