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________________ समझदार व्यक्ति प्रतिसंवेदित होता है— निर्णय के साथ नहीं, बल्कि विवेक के साथ। जीसस ने विवेक से काम लिया। उन्होंने कहा, 'हा, यह बात ठीक है, शास्त्र ठीक कहता है। मार डालो इस स्त्री को ।' फिर उन्होंने विवेक से थोड़ा भेद किया, 'अब, जो स्वयं पापी नहीं हैं, उन्हें ही अपने हाथों में उठाने चाहिए पत्थर और वही मारे स्त्री को यह है विवेकसम्मत निर्णय यह आया बोध से यह कोई मुर्दा निर्णय नहीं था। उन्होंने किसी शास्त्र का अनुसरण नहीं किया। उन्होंने खुद बनाया अपना शास्त्रसजगता के उस क्षण में। सजग व्यक्ति लकीर का फकीर नहीं होता; सजग व्यक्ति की सजगता ही उसका मार्गदर्शक होती है। और वह सजगता कभी गलत नहीं होती, मैं यह कहता हूं तुम से वह कभी गलत नहीं होती। और वह सदा प्रामाणिक होती है, सच्ची होती है वर्तमान क्षण के प्रति सच्ची होती है। अंतिम प्रश्न : पद्यसंभव का कहना है 'जब लोहे का पक्षी उड़ेगा तब धर्म लाल मनुष्य की भूमि में पहुंचेगा।' क्या इस भविष्यवाणी को पूरा करना आपके काम का हिस्सा है? मैं यहां किसी की भविष्यवाणी पूरा करने के लिए नहीं हूं और क्यों करूं मैं पूरा? यह पद्मसंभव की अपनी कल्पना हो सकती है, लेकिन वह अपनी कल्पना मुझ पर जबरदस्ती क्यों लादे ? मैं यहां स्वयं होने के लिए हूं। मैं कोई प्रोफेट नहीं हूं, और मैं यहां किसी को उसके पापों से मुक्ति दिलाने के लिए नहीं हूं। मैं यहां धर्म का कोई युग लाने के लिए नहीं हूं। ये तमाम बातें एकदम व्यर्थ और मूढ़ता भरी हैं। मैं तो अपना आनंद मनाता हूं। अगर तुम भी आनंद मनाना चाहते हो तो तुम मेरे आनंद में सम्मिलित हो सकते हो, बस इतना ही मेरे देखे जीवन कोई गंभीर बात नहीं है। प्रोफेट जीवन को बड़ी गंभीरता से लेते हैं। संत सरल होते हैं। प्रोफेट सदा खतरनाक होते हैं। बुद्ध कोई प्रोफेट नहीं हैं; असल में भारत ने प्रोफेट पैदा नहीं किए। प्रोफेट यहूदी धर्म की विशेष देन हैं। हमने संत पैदा किए - लाखों - लाखों संत - लेकिन वे सरल व्यक्ति हैं। जैसे तुम फूलों के साथ खुश होते हो वे किसी खास उपयोग के नहीं होते। असल में प्रोफेट धर्म के राजनीतिज्ञ हैं। उन्हें बदलना होता है सारे संसार को; उन्हें एक लक्ष्य पूरा करना होता है, और बहुत कुछ करना होता है। मेरा कोई लक्ष्य नहीं है। मैं कोई मिशनरी नहीं हूं। मैं एक ऐसा संसार चाहता हूं जिसमें न कोई प्रोफेट हो, न कोई मिशनरी हों, ताकि लोग अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हो प्रोफेट और मिशनरी ऐसा
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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