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________________ जो मित्र मेरे साथ थे मैंने उनसे कहा कि जीवन भी इसी 'ईको प्याइंट' की भांति है : तुम भौंकते हो उस पर, तो वह वापस भौंकता है तुम पर; तुम पढ़ते हो सुंदर मंत्र, तो जीवन एक मधुर गुंजार से भर जाता है। जीवन एक दर्पण है। लाखों-लाखों दर्पण हैं तुम्हारे चारों ओर–प्रत्येक चेहरा एक दर्पण है; प्रत्येक चट्टान एक दर्पण है; प्रत्येक बादल एक दर्पण है। सारे संबंध दर्पण हैं। जिस ढंग से भी तुम जीवन से संबंधित होते हो, वह तुम्हें प्रतिबिंबित करता है। जीवन के प्रति क्रोध से मत भर जाना अगर वह तुम पर भौंकने लगे। तुम्हीं ने आरंभ की होगी श्रृंखला। तुमने जरूर कुछ किया होगा तभी यह हो रहा है। जीवन को बदलने का प्रयास मत करो; बस अपने को बदलो और जीवन बदल जाता ये दो दृष्टिकोण हैं : एक को मैं कहत स्टवादी दृष्टिकोण, जो कहता है, 'जीवन को बदलो, केवल तभी तुम सुखी हो सकते हो'; दूसरे को मैं कहता हूं धार्मिक दृष्टिकोण, जो कहता है, 'स्वयं को बदलो, और जीवन अनायास ही सुंदर हो जाता है। समाज को, संसार को बदलने की कोई जरूरत नहीं है। यदि तुम उस दिशा में चल रहे हो, तो तुम गलत दिशा में चल रहे हो जो तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगी। पहली तो बात, तुम उसे बदल नहीं सकते-वह बहत जटिल और विराट है। यह असंभव है। वह बहुत जटिल है और तुम्हारी जिंदगी छोटी है! और जीवन सनातन है और जीवन अनंत है। तम एक मेहमान हो; रात भर का पड़ाव है और तुम चल दोगे : गते, गते-हमेशा के लिए विदा हो जाओगे। कैसे तुम कल्पना कर सकते हो इसको बदलने की? यह कहना कि जीवन बदला जा सकता है, निपट नासमझी की बात है। लेकिन बहुत अच्छा रन गत। है इस बात से। कम्मुनिस्टवादी दृष्टिकोण का अपना एक गहरा आकर्षण है। इसलिए नहीं कि वह सही है आकर्षण है किसी दूसरे कारण से क्योंकि वह तुम्हें जिम्मेवार नहीं ठहराता है, यही उसका आकर्षण है। तुम्हारे अतिरिक्त हर चीज जिम्मेवार है; तुम तो बस एक शिकार हो! 'पूरा जीवन जिम्मेवार है। तो जीवन को बदलना है।' साधारण मन को यह बात अच्छी लगती है, क्योंकि मन जिम्मेवारी नहीं लेना चाहता। जब भी तुम दुखी होते हो तो तुम जिम्मेवारी किसी दूसरे पर डाल देना चाहते हो-कोई भी चलेगा, कोई भी बहाना चलेगा-तुम निर्भार हो जाते हो। तुम्हें लगता है : तुम इस आदमी की वजह से दुखी हो-या इस स्त्री की वजह से, या इस समाज की, इस सरकार की, इस सामाजिक ढांचे की, इस अर्थव्यवस्था की वजह से दुखी हो-या, अंततः ईश्वर या भाग्य जिम्मेवार है। ये सभी कम्मनिस्टवादी दृष्टिकोण हैं। जैसे ही तुम जिम्मेवारी दूसरों पर डाल देते हो, तुम कम्युनिस्ट हो जाते हो, तुम फिर धार्मिक नहीं रहते। अगर तुम ईश्वर पर भी जिम्मेवारी डालते हो, तो भी तुम कम्मुनिस्ट हो। मुझे समझने की कोशिश करना, क्योंकि कम्युनिस्ट तो ईश्वर में विश्वास नहीं करते, लेकिन किसी दूसरे पर जिम्मेवारी डालने का पूरा दृष्टिकोण ही कम्मुनिस्टवादी दृष्टिकोण है-तब तो ईश्वर को ही बदलना पड़ेगा।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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