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________________ जस व्यक्ति ने यह पूछा है, कहता है कि वह जब कभी कोशिश करता है सजग होने की, तो वह सो नहीं सकता। या, यदि नींद आ रही होती है और अचानक उसे याद आता है कि उसे सजग रहना है, तो नींद टूट जाती है। तब वह नहीं सो सकता है-ऐसा कठिन होता है। निद्रा में जागरूकता का अभ्यास सीधे-सीधे नहीं किया जा सकता है। पहले तुम्हें कार्य करना होता है माग्रत अवस्था पर। सीधे निद्रा पर ऐसा करने का प्रयत्न मत करना अन्यथा तम्हारी नींद खराब हो जाएगी। तुम्हारा सारा दिन उत्तेजनापूर्ण हो जाएगा और तुम अनुभव करोगे उदास, सुस्त, उनींदा। ऐसा मत करना। सदा याद रखना कि एक शंखला होती है और सीढ़ी-दर-सीढ़ी बढ़ना होता है। पहली सीडी है कि सजग रहना, जबकि जाग रहे होते हो। निद्रा की बात तो बिलकुल ही मत सोचना। पहले तो तुम जागे रहना जबकि दिन में जागे हुए होते हो। और जब तुमने जागरूकता की पर्याप्त ऊर्जा एकत्रित कर ली होती है, केवल तभी दूसरा कदम उठाया जा सकता है, तब वस्तुत: कोई प्रयास होगा ही नहीं। वही ऊर्जा जिसे तुमने दिन में इकट्ठा कर लिया होता है भीतर वह सजग बनी रहेगी। किसी प्रयास की जरूरत न रहेगी। यदि प्रयास की जरूरत होती है, तो निद्रा बाधित होगी, क्योंकि प्रयास निद्रा के विरुद्ध होता है। ऐसा संसार भर में घटता है : लाखों लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं। सौ में से निन्यानबे रोगी ऐसे हैं कि वे पीड़ित हो रहे हैं क्योंकि वे नींद लाने का कुछ प्रयास करते हैं। प्रयास नींद का विरोधी है। वे बहुत से तरीके आजमाते हैं नींद लाने के और वह प्रयास ही नींद के विरुद्ध हो जाता है। प्रयास तुम्हें सजग बना देता है, प्रयास बना देता है तुम्हें तनावपूर्ण, और नींद तो है प्रयासहीन घटना। तुम एकदम चले जाते हो नींद में। तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं होती है। यदि तुम करते हो, तो नींद संभव न होगी। तुम तो बस अपना सिर रख देना तकिए पर और बिलकुल कुछ मत करना, प्रतीक्षा भी । करना नींद की। क्योंकि यदि तुम प्रतीक्षा कर रहे हो नींद की तो तुम कुछ कर ही रहे होते होप्रतीक्षा कर रहे होते हो। तुम मात्र लेट जाना बिस्तर पर, बत्ती बुझा देना, अपनी आंखें बंद कर लेना और नींद आ जाती है। तुम इसे ला नहीं सकते, यह घटती है। यह कोई कर्म नहीं होता। और नींद के स्वभाव को समझना बहुत-सी चीजों को समझना है। समाधि भी उसी भांति होती है। इसीलिए आगे चल कर पतंजलि कहेंगे कि निद्रा और समाधि में कुछ समानता होती है। यही है उनकी समानता : निद्रा उतरती है, और 'सतोरी' भी और समाधि भी उतरती है, लेकिन इसे ले आने के लिए तुम कुछ नहीं कर सकते। यदि तुम करते हो कोशिश, तो तुम चूक जाते हो। यदि तुम चूकना नहीं चाहते, तो तुम केवल ठहर जाओ और यह उतरती है।
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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