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________________ तुम्हें है, विशेष कर पश्चिम में, जब तक कि तुम मास मीडिया का प्रयोग न करो। और जब तुम मास मीडिया का प्रयोग करते हो तो निस्संदेह, ऐसा मालूम पड़ता है कि ध्यान भी एक बिकाऊ पदार्थ है। तुम्हें उन्हीं शब्दावलियों का प्रयोग करना पड़ता है, तुम्हें उसी भाषा का उपयोग करना पड़ता है, उसी ढंग से लोगों को मनवाना पड़ता है जैसे कि दूसरे लोग दूसरी चीजों के लिए जोर दे कर राजी करवा रहे हैं। यदि तुम कहते हो कि यह ध्यान ही सब से ऊंचा ध्यान है, तो यह व्यावसायिक मालूम पडेगा, क्योंकि ऐसे बहुत हैं जो यही कर रहे हैं। वे साबुनों के बारे में कह रहे हैं कि यही है साबुनों में सबसे ऊपर, यही है सुगंधियों की सुगंधि!' एक्टेसी नाम की सेंट है देर- अबेर कोई न कोई नाम रख ही देगा 'सतोरी', 'समाधि' ! वही शब्दावली, वही भाषा उपयोग करनी ही पड़ती है, और कोई उपाय नहीं है। तुम्हें उन्हीं विधियों का उपयोग करना ही पड़ता है, लेकिन इसमें कुछ गलत नहीं है। मैं रहा पर्वतों में और मैं लौट आया हूं बाजार में क्या तुम मेरे हाथों में मदिरा की बोतल नहीं देख सकते? अब मैं बाजार में हूं। तुम्हें साहसी होना ही होगा। जाओ और उन सारे माध्यमों का उपयोग करो जो कि उपलब्ध हैं अभी । तुम इसे बुद्ध की भांति नहीं कर सकते हो, तुम इसे जीसस की नहीं कर सकते हो गए वे दिन यदि तुम इसे उसी भांति किए जाओ, तब तो खबर पहुंचने, फैलने में लाखों वर्ष लगेंगे। जब तक कि खबर लोगों तक पहुंचे, चीज पहले ही मर चुकी होगी जब ताजे हों कॉर्न फ्लेक्स, तब जल्दी करना। पहुंचो लोगों तक। - - तीसरा प्रश्न: क्या आप हमसे थोड़ी और बात कह सकते हैं उत्सव के बारे में? क्या दुख का उत्सव मनाना संभव होता है? ऐसा संभव है क्योंकि उत्सव एक दृष्टि है। दुख के प्रति भी तुम उत्सव की दृष्टि बना सकते हो। उदाहरण के लिए. तुम उदास होते हो तो तादात्म मत बना लेना उदासी के साथ। साक्षी हो जाओ और आनंदित होओ उदासी के क्षण द्वारा, क्योंकि उदासी के अपने सौंदर्य हैं। तुमने कभी ध्यान नहीं दिया। तुम इतना ज्यादा तादात्म्य बना लेते हो कि तुम उदास क्षण के सौंदर्य में कभी गहरे उतरते ही नहीं ।
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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