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________________ कि ध्यान कार्य नहीं कर रहा है, कोई चीज फिर-फिर आ बनती है बंद कली की भाति, गतिरोध घटता है, कोई बड़ा पत्थर आ जमता है, और तुम बढ़ नहीं सकते, इसका अर्थ होता है तुम्हारा अतीत - । बहुत बोझिल है तुम्हें जरूरत पड़ेगी प्रति प्रसव की तुम्हें जरूरत होगी अतीत में जाने की और साथ ही साथ ध्यान करते रहने की। यदि ध्यान ठीक काम करता है, तो उसका अर्थ होता है कि तुम्हारा अतीत बहुत बोझिल नहीं; तुम्हारे पास अतीत की बाधाएं नहीं केवल ध्यान ही काम कर जाएगा। लेकिन यदि पत्थर जमे ही होते हैं और ध्यान काम नहीं कर रहा होता है, तब, मदद के रूप में, प्रति प्रसव अदभुत है - अतीत में जाना बहुत जबरदस्त मदद करता है। यह तुम पर निर्भर है। पहले तो कड़ा परिश्रम करना ध्यान पर, हर प्रयास कर लेना इसे जानने का कि यह घट सकता है या नहीं। यदि तुम अनुभव करते हो कि यह संभव नहीं, कुछ नहीं घट रहा है, केवल तभी विचार करना प्रति प्रसव का यह एक अच्छी विधि है, लेकिन दोयम है। यह बहुत प्राथमिक चीज नहीं है। दूसरी बात यह है कि यह बिलकुल सच है कि अकेले तो तुम नहीं जा सकते, अकेले तुम विकसित नहीं हो सकते। अकेले इसमें लाखों जन्म लग जाएंगे किसी खास निष्कर्ष तक पहुंचने में, किसी खास अस्तित्व तक आने में, और वह भी कोई निश्चित नहीं। बहुत सारे कारणों से यह बात संभव नहीं, क्योंकि जो कुछ भी तुम हो वह एक बंद व्यवस्था है और व्यवस्था स्वायत्ततापूर्ण है, अपने में पर्याप्त है। वह अपने से काम करती है और उसकी बहुत गहरी जड़ें होती हैं अतीत में। व्यवस्था एकदम पर्याप्त और सक्षम है। व्यवस्था से बाहर आना करीब-करीब असंभव है जब तक कि कोई तुम्हारी मदद न करे। किसी बाहरी तत्व की जरूरत होती है तुम्हारे पूरे ढंग को तोड़ देने के लिए तुम्हें झटका देने के लिए तुम्हें नींद से जगा देने के लिए। यह तो बिलकुल ऐसा है जैसे कि तुम सोए होते - और तुम सोए रहे हो बहुत - बहुत जन्मों से। कैसे तुम स्वयं को जगा सकते हो? शुरुआत करने के लिए भी तुम्हें कम से कम थोड़ा बहुत तो जागे हुए रहना होगा और वह थोड़ा-सा भी जागरण वहा है नहीं। तुम पूरी तरह सोए हो; तुम बेहोशी में हो। कौन शुरू करेगा कार्य? कैसे जगाओगे तुम स्वयं को? किसी की जरूरत होती है, कोई जो तुम्हें झटका दे सके बेहोशी से बाहर लाने को, जो बाहर आने में तुम्हारी मदद कर सके। एक अलार्म घड़ी भी मददगार होगी। साधक–समूह की जरूरत होती है। क्योंकि एक बार तुम जगने लगते हो, तो सारा अतीत तुम्हें बेहोश अवस्था तक लाने की कोशिश करेगा, क्योंकि मन कम से कम प्रतिरोध के मार्ग का अनुसरण करता है। तुम बार-बार सो जाओगे। या तो किसी सद्गुरु की जरूरत होती है, जो तुम्हें मदद दे सके इससे
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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