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________________ थीं उस बाघ से और न उन्हें पता था कि बाघ उनके बीच चल रहा था, बाघ भी बकरी की भांति ही चल रहा था। वृद्ध बाघ ने बस किसी तरह जा पकड़ा युवा बाघ को, क्योंकि कठिन था उसे पकड़ पाना। वह तो भागा-ऐसी कोशिश की उसने, वह रोया, चीखा -चिल्लाया। वह भयभीत था, वह कैप रहा शा भय से। सारी बकरियां भाग निकलीं और वह भी उनके साथ भाग जाने की कोशिश में था, लेकिन के बाघ ने उसे पकड़ लिया और उसे खींचता हआ ले चला झील की ओर। वह जाता न था। उसने उसी ढंग से बाधा डाली जैसे कि तुम मेरे साथ कर रहे हो! उसने अपनी ओर से पूरी कोशिश की न जाने की। वह मरने की हालत तक डरा हुआ था, चीख रहा था और रो रहा था, लेकिन वह का बाघ तो उसे जाने न देगा। का बाघ अभी भी खींचता था उसे और वह उसे ले गया झील की तरफ। झील शांत, निस्तरंग थी किसी दर्पण की भांति। उसने युवा बाघ को बाध्य किया पानी में झांकने के लिए। उसने देखा, आंसू भरी आंखों से -दृष्टि साफ न थी लेकिन दृष्टि थी तो-कि वह लगता था एकदम वृद्ध बाघ की भांति ही। आंसू मिट गए और होने का एक नया बोध उदित हुआ; बकरी मिटने लगी मन से। अब कोई बकरी न थी, लेकिन तो भी वह विश्वास न कर सका उसके अपने ज्ञान के जागरण पर। अभी भी शरीर कुछ कांप रहा था, वह भयभीत था। वह सोच रहा था, 'शायद मैं कल्पना ही कर रहा हूं। एक बकरी ऐसे अचानक ही बाघ कैसे बन सकती है। यह संभव नहीं, ऐसा कभी हुआ नहीं। ऐसा इस तरह से कभी नहीं हुआ।' वह विश्वास न कर सका अपनी आंखों पर, लेकिन अब वह पहली चिंगारी, प्रकाश की पहली किरण उसकी अंतस-सत्ता में प्रवेश कर गई थी। सचमुच ही अब वह वही न रहा था। वह कभी फिर से वही न हो सकता था। वह वृद्ध बाघ उसे ले गया अपनी गुफा में। अब वह उतना प्रतिरोधी नहीं था, उतना अनिच्छुक न था, उतना भयभीत न था। धीरे - धीरे वह निर्भीक हो रहा था, साहस एकत्र कर रहा था। जैसे ही वह गया गुफा की ओर, वह चलने लगा बाघ की भांति। के बाघ ने उसे कुछ मांस खाने को दिया। यह बात कठिन है शाकाहारी के लिए, करीब-करीब असंभव, उबकाई लाने वाली, लेकिन का बाघ तो कुछ सुनता ही न था। उसने उसे मजबूर किया खाने के लिए। जब युवा बाघ की नाक मास के निकट आई तो कुछ हो गया. उस गंध से उसके प्राणों की कोई गहरी बात जो कि सोई पड़ी थी जाग गयी। वह खिंच गया, आकर्षित हो उठा मास की ओर, और वह खाने लग गया। एक बार उसने स्वाद चख लिया मांस का, एक गर्जन फूट पड़ी उसके प्राणों से। बकरी विलीन हो गई उस गर्जन में, और बाघ वहा मौजूद था अपने सौंदर्य और भव्यता सहित।। यही है सारी प्रक्रिया। और एक के बाघ की जरूरत होती है। यही है तकलीफ का बाघ है यहां, और चाहे कैसे ही कोशिश करो बच निकलने की, इस ढंग से और उस ढंग से, वैसा संभव नहीं। तुम अनिच्छुक होते हो; झील तक तुम्हें ले चलना कठिन है, लेकिन मैं तुम्हें ले चलूंगा। तुम घास खाते रहे जीवन भर। तुम बिलकुल भूल ही चुके हो मांस की गंध, लेकिन मैं तुम्हें बाध्य करू दूंगा उसे खाने के
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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