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________________ ही बजे हैं, यदि किसी ने घड़ी को एक घंटा पीछे कर दिया हो, तो तम उसको देखोगे और कहोगे कि अभी भी एक घंटा बाकी है -मैं किए चला जा सकता हूं अपना काम – भूख नहीं लगी है। तुम जीते हो अतीत के कारण और आदत के कारण। तुम्हारी भूख एक आदत है, तुम्हारा प्रेम एक आदत है, तुम्हारी प्यास एक आदत है, तुम्हारी प्रसन्नता एक आदत है, तुम्हारा क्रोध एक आदत है। तुम जीते हो अतीत के कारण। इसीलिए तुम्हारा जीवन इतना अर्थहीन होता है, कोई अर्थ नहीं, उसमें कोई चमक नहीं। कोई महिमा नहीं। यह एक बिना मरूद्यान वाले रेगिस्तान जैसी घटना है। बदध जीते हैं क्षण की सहज स्फरणा में। यदि उन्हें भूख लगती है तो उन्हें अतीत के कारण भख नहीं लगती, ठीक अभी भूख लगी होती है। उनकी भूख वास्तविक होती है, सच्ची होती है। ठीक अभी वे प्यास अनुभव करते हैं। प्यास मौजूद होती है; वह मन के द्वारा प्रेरित नहीं हुई होती। तुम जीते हो मन के द्वारा। बुद्ध के पास कोई मन नहीं; मन धुल कर साफ हो गया है। वे जीते हैं अपनी अंतस सत्ता के द्वारा, जो कुछ घटता है उसके द्वारा, जो कुछ जैसा वे अनुभव करते हैं उसके द्वारा। इसीलिए बुद्ध जैसे लोग कह सकते हैं अब मैं मरूंगा। तुम नहीं कह सकते ऐसा। कैसे कह सकते हो इम यह? तुमने कभी अनुभव नहीं की स्वत:स्फूर्तता। तुम्हें भूख अनुभव होती है –क्योंकि समय आ पहुंचा; तुम्हें प्रेम अनुभव होता है, क्योंकि पुरानी आदतों का ढांचा दोहराया जाता है। तुमने मृत्यु को नहीं जाना अतीत में, तो कैसे तुम पहचानोगे मृत्यु को जब मृत्यु आ जाएगी? तुम नहीं पहचान पाओगे उसे, मृत्यु आ जाएगी। बुद्ध पहचानते हैं मृत्यु को। जब मृत्यु आयी, बुद्ध ने कहा अपने शिष्यों से, यदि तुम्हें कुछ पूछना है तो तुम पूछ सकते हो, क्योंकि मैं मरने वाला हूं। वह आदमी जो सहजता में जीया है, भूख अनुभव करेगा जब शरीर को भूख लगी होती है, प्यास अनुभव करेगा जब शरीर को प्यास लगती है, मृत्यु का आना अनुभव करेगा जब शरीर मर रहा होता है। यह एक अजीब सी बात है कि लोग मरते हैं और वे नहीं जान सकते कि शरीर मर रहा है, वे अनुभव नहीं कर सकते। वे इतने अनुभूतिविहीन हो चुके होते हैं -इतने यंत्रवत, मशीनी आदमी जैसे। मृत्यु एक बड़ी घटना है। जब तुम्हें भूख अनुभव हो सकती है, तो तुम मृत्यु को क्यों नहीं अनुभव कर सकते? जब तुम अनुभव कर सकते हो कि शरीर सो रहा है, तो तुम क्यों नहीं अनुभव कर सकते कि शरीर उतरता जा रहा है मृत्यु में? नहीं, तुम नहीं कर सकते अनुभव। तुम अनुभव कर सकते हो केवल अतीत से आयी चीजों को, और अतीत में कहीं कोई मृत्यु नहीं रही, इसलिए तुम्हारे पास कोई अनुभव नहीं। मन में इसकी कोई स्मृति है नहीं, इसलिए जब मृत्यु आती है, तो वह आती है लेकिन मन होशपूर्ण नहीं होता। बुद्ध कहते हैं, 'अब तुम पूछ सकते हो यदि तुम्हें कुछ पूछना हो तो, क्योंकि मैं मरने ही वाला हं।' और फिर वे लेट जाते हैं वृक्ष के नीचे और होशपूर्वक मरते हैं।
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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