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________________ मैंने देखे हैं लोग जो दुख में हैं क्योंकि उनके बच्चे हैं, और मैंने देखे हैं लोग जो कि दख में हैं क्योंकि उनके बच्चे नहीं हैं। मैं देखता हूं लोगों को जो प्रेम में पड़ गये हैं और दुखी हैं-उनका संबंध ही उन्हें दे रहा है बहुत तकलीफ, घबड़ाहट, पीड़ा-और मैं देखता हूं लोगों को दुखी जो प्रेम में नहीं पड़े हैं, क्योंकि बिना प्रेम के वे दुखी-पीड़ित हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि तुमने तो बिलकुल दृढ़ निश्चय ही कर रखा है दुखी रहने का। जो कुछ भी होती है स्थिति, तुम निर्मित करते हो दुख। लेकिन तुम भीतर कभी नहीं झांकते। कोई चीज भीतर होती है जरूर जो इसे बनाती है-वह अहंकार, कि तुम सोचते हो तुम हो, अहम् की वह धारणा। जितनी ज्यादा बड़ी धारणा होगी अहम् की, उतना ज्यादा बड़ा होगा दुख। बच्चे कम दुख में होते हैं क्योंकि उनका अहंकार अभी विकसित नहीं हुआ है। फिर, जीवन भर लोग सोचते जाते हैं कि बचपन में जीवन स्वर्ग था। इसका एकमात्र कारण बस यही है कि अहंकार को समय चाहिए विकसित होने के लिए। बच्चों में ज्यादा अहंकार नहीं होता है। यदि तुम अपना अतीत याद करने की कोशिश करो तो तुम कहीं एक रुकाव पाओगे। तीन वर्ष की आयु पर या चार वर्ष की आयु पर, अकस्मात स्मृति वहां ठहर जाती है। क्यों? मनोविश्लेषक गहराई से इस रहस्य की जांच-पड़ताल करते रहे हैं और अब वे एक निष्कर्ष पर आ पहुंचे हैं। वे कहते हैं कि ऐसा होता है क्योंकि अहंकार मौजूद नहीं था। कौन संग्रह करेगा स्मृतियों को? संग्रहकर्ता वहां था ही नहीं। चीजें घटती थीं, अनुभव घटता था, क्योंकि कोई बच्चा तीन वर्ष की आयु तक कोरा कागज ही तो नहीं होता है। लाखों चीजें घट गयी होती हैं। और बच्चे को ज्यादा चीजें घटती हैं वृद्ध व्यक्ति की अपेक्षा, क्योंकि बच्चा ज्यादा जिज्ञासु होता है। प्रत्येक छोटी बात उनके लिए बड़ी बात होती है। लाखों चीजें घट गयी होती हैं उन तीन वर्षों में, लेकिन क्योंकि अहंकार वहां नहीं था, तो कोई चिह्न अवशेष नहीं बच रहता। यदि बच्चा सम्मोहन में होता है, तो वह कर सकता है याद। वह रुकाव-अटकाव के पार जा सकता है। बहुत से प्रयोगों में सम्मोहित हुए व्यक्तियों को केवल वही चीजें ही याद नहीं आयीं जो जन्म के बाद घटी थीं, बल्कि वे चीजें भी याद आ गयीं जो जन्म के पहले घटी थीं। जब कि वे मा के गर्भ में थे। मां बीमार थी, या कि उसे तीव्र उदर-पीड़ा थी, और बच्चे ने पीड़ा पायी थी। या, बच्चा मा के गर्भ में था, सात या आठ महीने का हो गया था और मां ने संभोग किया था, बच्चा याद करता है उसे। क्योंकि जब मां संभोग करती है, तो भीतर बच्चे का दम घुटता है। पूरब में यह बात पूर्णतया वर्जित रही है। जब मां गर्भवती हो तो उससे संभोग नहीं किया जाना चाहिए। कोई भी कामवासना युक्त किया खतरनाक होती है बच्चे के लिए क्योंकि बच्चा अपनी श्वास-क्रिया के लिए निर्भर रहता है मां पर। आक्सीजन उपलब्ध होती है मां के दवारा। जब मां कामवासना की क्रिया में होती है, तो उसके श्वास की लय खो जाती है। सतत लय जब नहीं रहती वहां, तो बच्चे का दम घुटता है, न जानते हुए कि क्या हो रहा है। कामवासना में पड़ते हुए ज्यादा आक्सीजन सोख ली जाती है मां के द्वारा। अब वह वैज्ञानिक तथ्य है। जब ज्यादा आक्सीजन सोख
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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