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________________ हो। यदि वायु तुम्हें नहीं मिलती है तो तुम मर जाओगे कुछ पलों के भीतर ही, लेकिन बिना कामवासना के तुम जी सकते हो तुम्हारी जिंदगी भर यह पहला भेद है, और क्यों है ऐसा? क्योंकि कामवासना बुनियादी तौर से व्यक्ति की जरूरत नहीं है, यदि कामवासना पर रोक लगा दी जाए तो जाति मर जाएगी, लेकिन तुम तो नहीं मरोगे। मानव मर जाएगा, वह व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक है। कामवासना जाति की आवश्यकता है, किसी व्यक्ति की नहीं। यदि हर कोई ब्रह्मचारी बन जाए, तो मनुष्यता तिरोहित हो जाएगी, लेकिन तुम जीयोगे । तुम सत्तर वर्ष या और भी ज्यादा जीयोगे, क्योंकि तुम ज्यादा ऊर्जा बचा लोगे। वह व्यक्ति जिसे सत्तर वर्ष जीना था शायद सौ वर्ष जी सके बिना कामवासना के क्योंकि उसकी ऊर्जा सुरक्षित रखी रह जाएगी। लेकिन कामवासना के बिना जाति मर जाएगी। , यह पहला भेद है. भोजन की आवश्यकता होती है तुम्हारे लिए, कामवासना की आवश्यकता होती है दूसरों के लिए कामवासना की जरूरत है भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए तुम तो आ ही चुके हो, इसलिए कोई समस्या नहीं। तुम्हारे आने के लिए तुम्हारे माता-पिता को जरूरत थी कामवासना की। यदि वे ब्रह्मचारी रहे होते, तो तुम यहां नहीं होते, लेकिन वे तो जी लिए होते हैं, उनके लिए यह कोई समस्या नहीं रही होती। वे तो ज्यादा बेहतर ढंग से ही जी लिए होते, क्योंकि तुमने बना दी उनके लिए बहुत सारी तकलीफ। इसलिए प्रकृति ने तुम्हें कामवासना के लिए इतना गहरा सम्मोहन दिया है, वरना मनुष्यता तो तिरोहित हो जाएगी। प्रकृति ने तुम्हें कामवासना के प्रति पूरी तरह सम्मोहित कर दिया है वह तुम्हें धक्के देती है। तुम जाल से बच निकलने की कोशिश करते हो, और तुम जाल में फंसा हुआ अनुभव करते हो। जो कुछ तुम करते, जहां कहीं भी तुम जाते, कामवासना तुम्हारा पीछा करती है। प्रकृति तुम्हें निकलने नहीं दे सकती। वरना कामवासना स्वयं में इतनी असुंदर क्रिया है कि यदि तुम्हें स्वतंत्रता दे दी जाए, तब मैं नहीं समझता कि कोई चुनेगा उसे । वह जबरदस्ती लादी हुई होती है। क्या तुमने कभी स्वयं के संभोग करने के बारे में सोचा है? कितनी असुंदर लगती है यह बात ! इसीलिए लोग स्वयं को छिपा लेते हैं, जब वे संभोग करते हैं। वे एकांत चाहते हैं, ताकि कोई देखे नहीं उनकी तरफ। लेकिन जरा सोचो, स्वयं की कल्पना करो संभोग करते हुए सारी बात बेतुकी, मूढता भरी मालूम पड़ती है। क्या कर रहे होते हो तुम? यदि तुम्हारे भीतर उसे करने का कोई सम्मोहन तो कोई न करता वैसा। लेकिन तुम्हें प्रकृति ऐसा नहीं करने दे सकती, इसलिए प्रकृति ने इसके लिए तुम्हें एक गहन सम्मोहन दे दिया है। यह रासायनिक होता है, यह हार्मोनल होता है खून की धारा में खास हार्मोन्स बह रहे हैं, जो तुम्हें मजबूर कर देते हैं। अब जीवशास्त्री कहते हैं कि यदि वे हार्मोन्स तुममें से निकाले जा सकें, तो कामवासना तिरोहित हो जाएगी। तुम्हें उन हार्मोन्स के इंजेक्यान दिए जा सकते हैं और काम-आकांक्षा बहुत शक्तिशाली हो
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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