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________________ जीसस जरूर कृष्ण जैसे रहे होंगे, पर ईसाई कहते हैं कि वे कभी हंसे ही नहीं यह बड़ी बेतुकी बात जान पड़ती है। यदि जीसस नहीं हंस सकते, तो फिर कौन हंस सकता है? उन्होंने उन्हें चित्रित किया है इतने गंभीर रूप में। वे हंसे होंगे जरूर। वस्तुतः वे प्रेम करते थे स्त्रियों को, अंगूरी शराब को । यही थी अड़चन, इसीलिए यहूदियों ने सूली पर चढा दिया उनको । उनका प्रेम था स्त्रियों पर मेरी मेग्दालिन और दूसरी स्त्रियों पर, और मेरी मेग्दालिन एक वेश्या थी। वे जरूर एक अदभुत व्यक्ति रहे होंगे, एक बड़े ही विरल धार्मिक व्यक्ति। वे प्रेम करते थे भोजन को; वे सदा आनंदित होते थे उत्सवमय प्रीतिभोजों से और क्राइस्ट के साथ भोजन करने की बात जरूर किसी दूसरी दुनिया की चीज ही रही होगी। - ऐसा हुआ कि क्राइस्ट की मृत्यु हो गई क्रॉस पर तो कहां जाता है कि तीन दिनों के बाद वे पुनजार्वित हो उठे। यह एक बड़ी ही सुंदर कथा है। वे पुनजार्वित हो उठे और सबसे पहले मेरी मेग्दालिन ने देखा था उन्हें क्यों? – क्योंकि केवल प्रेम की दृष्टि ही समझ सकती है पुनजग़वत होने को, क्योंकि प्रेम-दृष्टि ही देख सकती है अंतस को अमरत्व को बहुत सारे अनुयायी गुजरे थे जीसस के निकट से, जो कि वहा खड़े हुए थे और वे नहीं देख सके थे प्रतीक सुंदर है केवल प्रेम ही देख सकता है अंतस की उस गहनतम मृत्यु-विहीनता को तब मेरी मेग्दालिन आयी शहर में और उसने बताया लोगों को। उन्होंने सोचा, वह पागल हो गई; कौन विश्वास करता है एक स्त्री का? लोग कहते हैं कि प्रेम पागल होता है, प्रेम अंधा होता है। कोई नहीं विश्वास करता था उसका, जीसस के शिष्य भी नहीं जीसस के निकटतम शिष्य भी हंसने लगे और बोले, 'क्या तू पागल हो गयी है?' वे विश्वास करते इसका जब उन्होंने देखा होता तो । फिर ऐसा हुआ कि दो शिष्य जा रहे थे दूसरे शहर की ओर, जीसस उनके पीछे आए। वे बोले उनके साथ, और उन्होंने बातें की जीसस के सूली चढ़ने के बारे में और इस बारे में कि क्या - क्या घटा था। वे दोनों बड़े दुखी थे और जीसस चल रहे थे उनके साथ और बातचीत कर रहे थे उनके साथ, और उन्होंने पहचाना ही नहीं उनको फिर वे पहुंच गए शहर में उन्होंने बुला लिया उस अजनबी को उनके साथ भोजन करने के लिए। जब जीसस रोटी का टुकड़ा तोड़ रहे थे, तब अकस्मात उन्होंने पहचान लिया उन्हें, क्योंकि जीसस के अतिरिक्त किसी ने उस ढंग से न तोड़ी होती रोटी। मुझे यह कथा बहुत ज्यादा प्यारी रही है। उन्होंने बातें की और पहचान न सके उन्हें वे मीलों मीलों तक एक साथ चले और पहचान न सके उन्हें लेकिन जीसस के रोटी तोड़ने का वही ढंग और अचानक उन्होंने पहचान लिया उन्हें । उन्होंने कभी न जाना था ऐसे व्यक्ति को, जो इतने उत्सवपूर्ण भाव से रोटी तोड़ता हो उन्होंने भोजन का उत्सव मनाने वाले किसी व्यक्ति को नहीं देखा था। अकस्मात, उन्होंने पहचान लिया उन्हें और बोले, 'आपने बताया क्यों नहीं कि आप पुनजयॅवत हो गए जीसस है? वही ढंगा' ईसाई कहते हैं कि यह आदमी कभी हंसा ही नहीं ईसाइयों ने संपूर्णतया नष्ट ही —
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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