SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दज्ञानानुपाती वस्तुशून्यो विकल्पः । 911 शब्दों के जोड़ मात्र से बनी एक धारणा जिसके पीछे कोई ठोस वास्तविकता नहीं होती, वह विकल्प है, कल्पना है। अभावप्रत्ययालम्बनावृतिर्निद्रा ।। 1011 निद्रा मन की वह वृति है, जो अपने में किसी विषय वस्तु की अनुपस्थिति पर आधारित होती है। अनुभूतविषयासम्प्रमोष: स्मृतिः ॥ 11।। स्मृति है पिछले अनुभवों को स्मरण करना । सम्यक ज्ञान (प्रमाण वृति) के तीन स्रोत है-प्रत्यक्ष बोध अनुमान और बुद्धपुरुषों के वचन । प्रत्यक्ष, प्रत्यक्ष-बोध सम्यक ज्ञान का पहला स्रोत है। प्रत्यक्ष-बोध का मतलब है, आमने 3 सामने का साक्षात्कार - बिना किसी मध्यस्थ के बिना किसी माध्यम के बिना किसी एजेंट के। जब तुम प्रत्यक्ष रूप से कुछ जानते हो, जाता तुरंत सामना करता है शात का। बतलाने के लिए कोई और नहीं, कोई भी सेतु नहीं है। तब तो वह सम्यक जान है। लेकिन तब बहुत-सी समस्याएं उठ खड़ी होती हैं। साधारणतया, प्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष बोध बड़े गलत ढंग से अनुवादित, व्याख्यायित, और वर्णित किया जाता है। इस शब्द प्रत्यक्ष का अर्थ होता है आंखों के आगे, आंखों के सामने। लेकिन आंखें स्वयं मध्यस्थ हैं, जानने वाला पीछे छिपा है। आंखें माध्यम हैं। तुम मुझे सुन रहे हो, लेकिन यह
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy