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________________ तुम्हारी स्मृति विश्वसनीय नहीं है। तुम कल्पना किये जा रहे हो, तुम केवल अपने अतीत को आगे प्रक्षेपित कर रहे हो। तुम अनुभव के प्रति सच्चे नहीं हो, और तुम इसमें से बहुत सारी चीजें छोड़ देते हो। वह सब जो कुस्वप्न था, वह सब जो उदास था, वह सब जो दुखद था, तुम छोड़ देते हो। लेकिन वह सब जो सुंदर था, तुम बचाये रहते हो। वह सब जो तुम्हारे अहंकार को बल देता था, तुम याद रखते हो, और वह सब जो बल नहीं देता, तुम छोड़ देते हो। इसलिए हर आदमी के पास छोड़ दी गयी स्मृतियों का एक विशाल गोदाम होता है। और जो कुछ भी तुम कहते हो, सच नहीं है। क्योंकि तुम ठीक-ठीक याद नहीं रख सकते हो। तुम्हारे केंद्र बिलकुल ही घपले में हैं। वे एक-दूसरे में प्रवेश कर जाते हैं और एक-दूसरे को अस्त-व्यस्त कर देते सम्यक स्मृति-बुद्ध ने ध्यान के लिए 'सम्यक स्मृति' शब्द का प्रयोग किया है। पतंजलि कहते हैं कि स्मृति के सम्यक होने के लिए अपने प्रति समग्न रूप से सच्चा होना पड़ता है। केवल तभी स्मृति सही हो सकती है। जो कुछ भी घटित हुआ है,अच्छा या बुरा, उसे परिवर्तित मत करो। जो जैसा है उसे वैसा ही जानो। ऐसा बहुत कठिन होता है। यह दुष्कर है। साधारणतया तुम चुन लेते हो और बदल देते हो। अपना अतीत जैसा था उसे वैसा ही जान लेना, तुम्हारी सारी जिंदगी को बदल देगा। जैसा तुम्हारा अतीत था यदि तुम उसे ठीक से जान लेते हो, तो तुम भविष्य में उसे दोहराना नहीं चाहोगे। अभी हर आदमी रुचि ले रहा है कि अतीत को परिवर्तित रूप में कैसे दोहराया जाये। लेकिन जैसा अतीत था उसे यदि तुम ठीक से जान लेते हो तो तुम उसे दोहराना नहीं चाहोगे। सारे अतीत से मुक्ति कैसे हुआ जाये इसके लिए सम्यक स्मृति तुम्हें प्रेरणा-शक्ति देगी। और यदि स्मृति सही है, तो तुम पूर्व जन्मों की स्मृतियों में भी जा सकते हो। यदि तुम सच्चे हो, तब तुम अतीत की स्मृतियों में जा सकते हो। तब तुम्हारी केवल एक इच्छा होगी-इस सारी निरर्थकता का अतिक्रमण करना। लेकिन तुम सोचते हो कि वह अतीत सुंदर था, और तुम सोचते हो कि भविष्य सुंदर बनने वाला है और केवल वर्तमान ही गलत है। लेकिन कुछ दिन पहले अतीत वर्तमान ही था और वह भविष्य कुछ दिनों पश्चात वर्तमान बन जायेगा। और हर वर्तमान गलत है और अतीत हमेशा सुंदर लगता है और भविष्य हमेशा सुंदर लगता है। यह भ्रांतिपूर्ण स्मृति है। अतीत को प्रत्यक्ष ढंग से देखो। उसे बदलों मत। अतीत जैसा था, उसे देखो। लेकिन हम बेईमान है। ___हर आदमी अपने पिता से नफरत करता है, लेकिन यदि तुम किसी से पूछो तो वह कहेगा, 'मैं अपने पिता से प्यार करता हूं। सबसे अधिक मैं अपने पिता का आदर करता हूं।' हर औरत अपनी मां से नफरत करती है, लेकिन पूछो और हर औरत कहेगी, 'मेरी मां! वह तो बिलकुल दिव्य है।' यह है भ्रांतिपूर्ण स्मृति।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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