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________________ कुए पश्चिम के बड़े मनोवैज्ञानिकों में एक, उसने केवल कल्पनाशक्ति द्वारा कई-कई रोगों से छुटकारा पाने में लाखों लोगों की मदद की। उसका फार्मूला बड़ा सीधा था। वह कहता कि महसूस करना शुरू करो कि तुम ठीक हो मन के भीतर दोहराते ही रहो, मैं बेहतर से बेहतर होता जा रहा हूं। हर रोज मैं बेहतर हो रहा हूं।' रात को जब तुम सो जाते हो, तो सोचते जाना, 'मैं स्वस्थ हूं मैं हर पल अधिक स्वस्थ होता जा रहा हूं और तुम सुबह होने तक दुनिया के सबसे अधिक स्वस्थ व्यक्ति हो जाओगे तो बस ऐसी कल्पना किये चले जाओ। और उसने लाखों लोगों की मदद की । असाध्य रोग भी ठीक हो गये थे। यह चमत्कार जान यह सिर्फ एक बुनियादी नियम है तुम्हारा मन तुम्हारी पड़ता था, लेकिन ऐसा कुछ था नहीं कल्पनाशक्ति के पीछे चलता है। मनोवैज्ञनिक अब कहते हैं कि यदि तुम बच्चों को कहो कि वे मूढ़ हैं, मंद हैं, तो वे वैसे ही हो जाते हैं। तुम उन्हें मंद होने के लिए धक्का देते हो उनकी कल्पनाशक्ति को इनके सुझाव दे दे कर। और इसे सिद्ध करने के लिए कई प्रयोग किये गये हैं। यदि तुम एक बच्चे से कहते हो, तू मंदबुद्धि है, तू कुछ नहीं कर सकता। तू इस गणित को, इस प्रश्न को हल नहीं कर सकता।' और फिर तुम उसे प्रश्न दो और इसे करने के लिए उससे कहो, तो वह इसे हल नहीं कर पायेगा। तुमने द्वार बंद कर दिया है। लेकिन यदि तुम बच्चे से कहो, 'तुम बहुत बुद्धिमान हो और मैंने तुम जैसा बुद्धिमान कोई दूसरा लड़का नहीं देखा है। अपनी उम्र के लिहाज से तुम बहुत ज्यादा बुद्धिमान हो। तुममें बहुत संभावनाएं दिखती हैं, तुम कोई भी प्रश्न हल कर सकते हो और फिर तुम उससे प्रश्न हल करने के लिए कहो, वह उसे हल कर पायेगा। तुमने उसे कल्पना दे दी है। अब तो वैज्ञानिक अन्वेषण हु हैं और उनके प्रमाण है कि जो भी बात कल्पना में उतर जाती है, वह बीज बन जाती है। कई पीढ़ियों को कई सदियों को कई राष्ट्रों को बदल डाला गया है कल्पनाशक्ति का प्रयोग करके। 1 , तुम भारत में, पंजाब में जाकर देख सकते हो। एक बार मैं दिल्ली से मनाली तक की यात्रा कर रहा था। मेरा ड्राइवर एक सिख, एक सरदार था। वह सड़क खतरनाक थी और हमारी कार बहुत बड़ी थी। कई बार ड्राइवर भयभीत हुआ। कई बार कह उठा,' अब मैं और आगे नहीं जा सकता। हमें पीछे जाना पड़ेगा। हमने हर तरह से उसे राजी करने की कोशिश की। एक जगह तो वह इतना डर गया कि उसने कार रोक दी और वह बाहर निकल आया और कहने लगा, 'नहीं! अब मैं यहां से आगे नहीं बढ़ सकता।' वह कहने लगा, 'यह खतरनाक है। हो सकता है यह आपके लिए खतरनाक न हो; आप मरने के लिए तैयार हो सकते हो। लेकिन मैं नहीं हूं। मैंने वापस जाने की ठान ली है।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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