SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 456
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवेश कर सकता है, यदि तुम उसे ऐसा करने दो। वह तुम्हारे दवार तक नहीं खटखटायेगा-नहीं। वह उतना भी सक्रिय नहीं होगा। वह एक बहुत ही मौन घटना के रूप में होता है-वह 'नाक्छ' है। लेकिन वह एक महान बात है उपलब्ध करने की क्योंकि केवल वही जानता है कि क्या होता है अस्तित्व। केवल वही जानता है, क्या है परम तत्व। विधायक और नकारात्मक के साथ तो तुम मन को ही जानते हो। नकारात्मक दुर्बल है, विधायक होता है शक्तिशाली। आध्यात्मिक होने का प्रयास कभी मत करना। वह तो अपने से ही घटेगा। तुम्हें उसके लिए प्रयास करने की जरूरत नहीं। और जब ऐसा हो जाये तो उससे अलग हो जाना। बहुत-सी कहानियां प्रचलित हैं प्राचीनकाल से। बुद्ध का एक चचेरा भाई था-देवदत्त। उसने बुद्ध से दीक्षा ली। वह चचेरा भाई था और निस्संदेह, गहरे में ईर्ष्या थी उसे। और वह बहुत शक्तिशाली व्यक्ति था रासतिन की भांति ही। जल्दी ही उसने एकत्र करना शुरू कर दिया अपना शिष्य-समुदाय, और वह कहने लगा लोगों से, 'मैं बहुत कुछ कर सकता हूं और ये बुद्ध कुछ नहीं कर सकते।' अनुयायी बार-बार आते बुद्ध के पास और कहते, 'यह देवदत एक अलग पंथ निर्मित करने का प्रयत्न कर रहा है और वह कहता है कि वह ज्यादा शक्तिशाली है।' और वह ठीक कहता था, पर उसकी शक्ति संबंधित थी विधायक मन से। उसने बहुत-सी बातों के लिए प्रयत्न किये। बुद्ध को मारने के बहुत से प्रयत्न कर डाले। उसने मस्त हाथी बनाया। जब मैं कहता हूं उसने मस्त हाथी बनाया, तो मेरा मतलब होता है कि उसने अपनी विधायक शक्ति का प्रयोग किया और यह इतनी शक्तिशाली घटना थी कि हाथी मदमस्त हो गया। वह पागल हुआ दौड़ने लगा; उसने बहुत वृक्ष गिरा दिये। देवदत्त बहत प्रसन्न हआ क्योंकि उन वक्षों के बिलकल पीछे ही तो बदध बैठे हए थे, और हाथी पागल हुआ जा रहा था। वह तो एक बिलकुल पागल ऊर्जा थी। लेकिन जब हाथी बुद्ध के निकट आया, तो उसने बुद्ध को देखा और शांत होकर बैठ गया गहरे ध्यान में। देवदत्त तो उलझन में पड़ गया। क्या घट गया था? जब शून्यता होती है तो हर चीज अवशोषित हो जाती है। शून्यता की कोई सीमा नहीं होती। पागलपन सोख लिया गया था। ऐसा नहीं था कि बुद्ध ने कुछ कर दिया था। उन्होंने कुछ नहीं किया था वे मात्र शून्य थे। हाथी आया और खो दी अपनी ऊर्जा उसने। वह शांत हो गया। वह इतना शांत हो गया कि ऐसा कहा जाता है कि देवदत्त ने बहुत बार कोशिश की, लेकिन फिर वह पागल नहीं बना सका हाथी को। संबोधि को उपलब्ध व्यक्ति कोई व्यक्ति ही नहीं होता यह है एक बात। और दूसरी बात-वह है ही नहीं। लगता है कि वह है, पर वह है नहीं। जितना ज्यादा तुम उसे खोजते हो उतनी ही कम संभावना होती है उसे पाने की। उस खोज में ही तुम खो जाओगे। वह ब्रह्मांड बन चुका होता है। आध्यात्मिक व्यक्ति फिर भी एक व्यक्ति ही होता है।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy