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________________ कैसे लिया तुमने हिस्सा? जब कभी कोई व्यवस्था सम्हाल रहा होता है और यहां की तमाम चीजों की व्यवस्था लक्ष्मी सम्हाल रही है। तो बहुत सारी स्थितियां होंगी जिनसे गहरे तल पर तुम प्रतिरोध अनुभव करोगे। जिनके लिए उसे तुम्हें 'नहीं'कहना होगा; जिनमें तुम आहत अनुभव करोगे कि पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है तुम्हारी ओर; जिनमें तुम अनुभव करोगे कि तुम्हें ऐसा समझा जा रहा है जैसे कि तुम कुछ नहीं हो। इससे बचा नहीं जा सकता है। तब तुम्हारा अहंकार चोट अनुभव करेगा और तुम शत्रुता अनुभव करोगे। अगर बहुत सारे लोग किसी एक व्यक्ति के प्रति शत्रुता अनुभव करते हैं, तो उसमें से सबसे दुर्बल व्यक्ति शिकार बन जायेगा; वह कुछ करेगा। वह तुममें सर्वाधिक पागल था, यह ठीक है, लेकिन केवल वह अकेला ही जिम्मेदार नहीं है। यदि तुमने कभी भी लक्ष्मी के प्रति विरोध अनुभव किया हो, वह इस बात का हिस्सा बना और तुमने अर्जित कर लिया एक कर्म। इसलिए जब तक तुम बहुत सूक्ष्म रूप से जागरूक नहीं हो जाते, तुम संबोधि को उपलब्ध नहीं हो सकते। चीजें बहुत उलझी हुई हैं।. अब तो पश्चिम में भी मनोविश्लेषकों ने जान लिया है कि यदि एक व्यक्ति पागल हो जाता है तो सारा परिवार जिम्मेदार होता है-समस्त परिवार। अब वे सोचते हैं कि सारे परिवार का इलाज करना होता है, किसी एक व्यक्ति का नहीं। क्योंकि जब एक व्यक्ति पागल हो जाता है तो इससे केवल यही प्रकट होता है कि सारे परिवार में आंतरिक तनाव है। यह व्यक्ति उन सबमें सवांधिक दुर्बल है, अत: तुरत वह सारी बात ही प्रकट कर देता है। वह सारे परिवार की अभिव्यक्ति बन जाता है। और अगर तुम उसका इलाज करते हो तो यह बात मदद न देगी। अस्पताल में वह शायद ठीक भी हो जाये, लेकिन घर लौटने पर वह फिर बीमार पड़ जायेगा क्योंकि सारे परिवार में आंतरिक तनाव हैं और वह सबसे दुर्बल है। ज्यादा कष्ट पाते हैं माता-पिता के कारण। माता-पिता लड़ते-झगड़ते रहते हैं; घर में वे हमेशा चिंता तथा तनाव ही बनाते रहते हैं। सारा घर शांतिपूर्ण समूह के रूप में अस्तित्व नहीं रखता, बल्कि आंतरिक युद्ध और संघर्ष का रूप बना होता है। बच्चा ज्यादा नाजुक होता है। वह अजीब-अजीब तरीकों से व्यवहार करना शुरू कर देता है। और अब तुम्हारे पास बहाना होता है कि तुम तनावमुक्त और चिंतित हो बच्चे के ही कारण। अब मां और बाप दोनों बच्चे को लेकर चिंतित हो सकते हैं। वे उसे मनोविश्लेषक के पास और डॉक्टर के पास ले जायेंगे। और इस तरह वे अपना संघर्ष भूल सकते हैं। - यह बच्चा एक जोड़ने वाली शक्ति बन जाता है। अगर वह बीमार होता है, तो उन्हें ज्यादा ध्यान देना होता है उसकी ओर। और अब उनके पास एक बहाना है इसके लिए कि क्यों वे चिंतित है और तनावपूर्ण हैं और व्यथित हैं क्योंकि बच्चा बीमार है। वे नहीं जानते कि बात ठीक उल्टी है। वे चिंतित हैं, तनावपूर्ण हैं और संघर्षरत है इसलिए बच्चा बीमार है। बच्चा निर्दोष होता है, सुकोमल।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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