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________________ आस्था मरी हुई चीज बिलकुल नहीं है। तुम अपने परिवार सै आस्था उधार नहीं ले सकते। यह एक व्यक्तिगत घटना है। तुम्हें इस तक आना होगा। हिंदुत्व परंपरागत है, मुसलमान होना परंपरागत है। लेकिन मोहम्मद के आस-पास एकत्र पहले समूह के लिए- और वे वास्तव में मुसलमान थे-वह आस्था ही थी। वे गुरु तक स्वयं आये थे। वे गुरु के निकट के सान्निध्य में रहे थे, उन्होंने सत्संग पाया था। उन्हें मोहम्मद में निष्ठा थी। और मोहम्मद ऐसे व्यक्ति न थे जिन पर कि आसानी से आस्था की जा सके। यह कठिन था। यदि तुम मोहम्मद के पास गये होते तो तुम भाग आते। उनकी नौ पत्नियां थीं। ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करना असंभव था। उनके हाथ में तलवार थी और तलवार पर लिखा था, 'शांति आदर्श है।' इसलाम शब्द का अर्थ है शांति। ऐसे व्यक्ति का तुम कैसे विश्वास कर सकते हो? तुम महावीर में निष्ठा बना सकते हो, जब वे अहिंसा की बातें करते हैं। वे अहिंसावादी हैं। स्पष्ट ही तुम महावीर पर भरोसा कर सकते हो। लेकिन मोहम्मद जो तलवार को साथ लिये हैं, उनमें कैसे आस्था रख सकते हो। और वे कहते हैं, 'प्रेम संदेश है और शांति आदर्श है। तुम विश्वास नहीं कर सकते। यह व्यक्ति बाधाएं खड़ी कर रहा था। मोहम्मद एक सूफी थे, वे एक गुरु थे। वे हर कठिनाई निर्मित करेंगे। इसलिए अगर तुम्हारा मन अब तक कार्य कर रहा होगा, यदि तुम संदेह करोगे, यदि तुम संशय से भरे हुए होओगे, तो तुम भाग सकते हो। लेकिन यदि तुम ठहरे, प्रतीक्षा की, यदि तुममें धैर्य रहा-और असीम धैर्य का आवश्यकता होगी-तो किसी दिन तम मोहम्मद को जान जाओगे। तम मसलिम हो जाओगे। मात्र उनको जान लेने में, तुम मुसलमान हो जाओगे। शिष्यों का वह पहला समूह बिलकुल ही अलग था। बुद्ध के शिष्यों का पहला समूह भी एक नितांत भिन्न बात थी। अब बौद्ध मृत हैं, मुसलमान मृत हैं; वे परंपरागत स्वप्न से मुसलमान हैं, लेकिन सत्य को संपत्ति की भांति हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। तुम्हारे माता-पिता तुम्हें सत्य नहीं दे सकते। वे तम्हें संपत्ति दे सकते हैं क्योंकि संपत्ति संसार को चीज होती है लेकिन सत्य संसार का नहीं है। इसे वे तुम्हें नहीं दै सकते, वे इसे एक खजाने की तरह संजो कर नहीं रख सकते। वे इसे बैंक में नहीं रख सकते जिससे कि यह तुम तक हस्तांतरित हो सके। इसे तुम्हें स्वयं ही खोजना होगा। तुम्हें कष्ट सहन करना होगा, तुम्हें शिष्य होना होगा और तुम्हें कड़े अनुशासन में से गुजरना पड़ेगा। यह एक व्यक्तिगत घटना होगी। सत्य हमेशा व्यक्तिगत होता है। यह एक व्यक्ति में ही घटित होता है। आस्था एक बात है और विश्वास कुछ अलग बात है। विश्वास तुम्हें दूसरों के द्वारा दिया जाता है, लेकिन आस्था तुम्हारे दवारा स्वयं अर्जित की जानी चाहिए। पतंजलि को किसी विश्वास की
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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