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________________ और सारा शरीर निर्मित कर सकता है नाद को। कोई समस्या नहीं इसमें। तुम्हारा मुंह तो एक हिस्सा ही है शरीर का एक विशिष्ट हिस्सा, बस इतना ही यदि तुम प्रयास करो, तो तुम्हारा सारा शरीर इसे दोहरा सकता है। 3 ऐसा हुआ कि एक हिंदू संन्यासी स्वामी राम बहुत वर्षों से जोर से जपते थे राम-राम । एक बार वे अपने एक मित्र के साथ हिमालय के किसी गांव में ठहरे हुए थे। मित्र था सुप्रसिद्ध सिख लेखक सरदार पूर्णसिंह आधी रात को अकस्मात पूर्णसिंह ने सुना 'राम-राम-राम' । का जप वहां और कोई नहीं था केवल थे स्वामी राम, और वह स्वयं वे दोनों सो रहे थे अपने बिस्तरों पर, और गांव था बड़ी दूर-लगभग दो या तीन मील दूर। कोई न था वहां। , पूर्णसिंह उठा और झोपडे के चारों ओर घूम आया, लेकिन कोई न था वहां और जितना ज्यादा वह स्वामी राम से दूर गया, कम और कम होता गया नाद जब वह वापस लौटा, तो नाद फिर से ज्यादा सुनाई दिया। फिर वह ज्यादा निकट आ गया राम के जो गहरी नींद सोये थे जिस क्षण वह ज्यादा निकट आया, नाद और भी ऊंचा हो गया। फिर उसने राम के शरीर के एकदम निकट रख दिया कान। सारा शरीर प्रकम्पित हो रहा था राम के 'नाद' से। ऐसा होता है। तुम्हारा सारा शरीर आपूरित हो सकता है। यह तीन महीने या छह महीने का पहला चरण है, किंतु तुम्हें आपूरित होने का अनुभव करना चाहिए। और यह आपूरण उसी भांति है जैसे तुमने भोजन किया हो भूखे रहने के बाद, और तुम अनुभव करते हो इसे जब पेट भरा हुआ संतुष्ट होता है शरीर संतुष्ट किया जाना चाहिए पहले और यदि तुम जारी रखते हो इसे तो यह घट सकता है तीन महीने या छह महीने में। तीन महीने एक औसत सीमा है। कुछ लोगों के साथ ऐसा पहले भी घटित हो जाता है, कुछ के साथ यह बात थोडा ज्यादा समय लेती है। यदि यह सारे शरीर को आपूरित करता है, तो कामवासना पूर्णतया तिरोहित हो जायेगी। सारा शरीर इतना संतोषमय होता है, यह इतना शांत हो जाता है प्रदोलित नाद के साथ, कि ऊर्जा को बाहर फेंकने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उसे विमुक्त करने की जरूरत नहीं रहती और तुम बहुत - बहुत शक्तिशाली अनुभव करोगे। लेकिन इस शक्ति का उपयोग मत करना। क्योंकि तुम इसका उपयोग कर सकते हो, और तमाम उपयोग दुरुपयोग ही सिद्ध होगा। क्योंकि यह तो एक पहला चरण ही होता है। ऊर्जा को एकत्रित होना ही होता है जिससे तुम दूसरा कदम उठा सकी। तुम कर सकते हो इसका प्रयोग। क्योंकि शक्ति इतनी ज्यादा होगी कि तुम बहुत चीजें करने योग्य हो जाओगे तुम कुछ कह सकते हो और वह सच हो जायेगा। इस अवस्था में तुम्हारे लिए सक्रिय होना निषिद्ध है। तुम्हें कुछ नहीं कहना चाहिए। तुम्हें क्रोध में किसी से नहीं कहना चाहिए, 'मर जाओ । 'क्योंकि यह घट सकता है। तुम्हारा नाद इतना शक्तिशाली बन सकता है कि जब यह जुड़ जाता है तुम्हारी संपूर्ण
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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