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________________ शून्य होगा-कालातीत। वह तुममें से नहीं आयेगा; तुम उसके जनक नहीं होओगे। यह अकस्मात ही आसमान से फूट पड़ेगा। इसीलिए बुद्ध जोर देते है कि यह सदा आता है शून्य से। तुम कुछ हो-यही है दुख। वस्तुत: तुम हो क्या? मात्र अतीत ही तो। तुम संचित किये चले जाते हो अतीत को इसीलिए तुम खंडहरों की भांति बन गये हो-बहुत प्राचीन खंडहर। जरा बात को देखो और पुराने को बनाये रखने की कोशिश मत करो। गिरा दो उसे। इसीलिए मेरे चारों ओर सदा अव्यवस्था ही बनी रहने वाली है क्योंकि मैं लगातार मिटाये जा रहा हूं। मैं विध्वंसात्मक हूं क्योंकि वही एकमात्र तरीका है सृजनात्मक होने का। मैं हूं मृत्यु की भांति क्योंकि केवल तभी तुम मेरे द्वारा पुनर्जीवित हो सकते हो। यह बात सही है-अव्यवस्था तो है। यह हमेशा बनी रहेगी क्योंकि नये लोग आ रहे होंगे। तुम मेरे आस-पास ठहरी हुई व्यवस्था कभी न पाओगे। नये लोग आ जायेंगे और मैं उन्हें मिटात अव्यवस्था तुम्हारे लिए समाप्त हो सकती है व्यक्तिगत तौर पर। यदि तुम मुझे तुम्हें संपूर्णतया खत्म करने दो, तो तुम्हारे लिए अव्यवस्था तिरोहित हो जायेगी। तुम बन जाओगे सुव्यवस्था, एक आंतरिक समस्वरता, एक गहन व्यवस्था। तुम्हारे लिए तिरोहित हो जायेगी अव्यवस्था। आस-पास तो यह जारी रहेगी क्योंकि नये लोग आते होंगे। ऐसा ही होता है; यह इसी तरह होता रहा है सदा से। यह पहली बार नहीं हुआ 'कि तुमने मुझसे ऐसा पूछा है। यही पूछा गया था बुद्ध से; यही पूछा गया था लाओत्सु से; यही पूछा जायेगा बार-बार क्योंकि जब भी सद्गुरु होता है तो तुम्हारा पुनर्जन्म हो इसके लिए वह मृत्यु का एक विधि की भांति प्रयोग करता है। तुम्हें मरना ही होगा; केवल तभी तुम पुनर्जीवित हो सकते हो। अव्यवस्था सुंदर है क्योंकि यह गर्भ है। और तुम्हारी तथाकथित व्यवस्था असुंदर है क्योंकि वह बचाव करती है केवल मृत का। मृत्यु सुंदर होती है; मृतक सुंदर नहीं होता; यह भेद ध्यान में रखना। मृत्यु सुंदर है, मैं फिर से कहता हूं क्योंकि मृत्यु एक जीवंत शक्ति है। मृतक सुंदर नहीं क्योंकि मृत वह स्थान है जहां से जीवन जा ही चुका है। वह तो मात्र खंडहर है। मृत व्यक्ति मत बनो; अतीत को मत ढोते रहो। गिरा दो उसे, और गुजर जाओ मृत्यु में से। तुम भयभीत हो मृत्यु से, लेकिन फिर भी तुम मृतवत होने से भयभीत नहीं हो। जीसस ने दो मछुओं को पुकारा, पीछे चले आने को कहा। और जिस घड़ी वे शहर छोड़ रहे थे एक आदमी दौडता हुआ आ पहुंचा। वह मछुओं से बोला, 'कहां जा रहे हो तुम? तुम्हारे पिता मर गये है। वापस चलो।' उन्होंने जीसस से पूछा, 'हमें कुछ दिनों के लिए रुकने दें, ताकि हम जा सकें और जो कुछ करना है कर सकें। हमारे पिता मर गये हैं और अंतिम संस्कार करना है।' जीसस बोले,
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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