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________________ विक्षेपयुक्त मन के ये लक्षण हटाये जा सकते है एक सिद्धांत पर ध्यान करने वारा। वह एक सिद्धांत है-प्रणव, ओम वह सर्वव्यापी नाद। आज इतना ही। प्रवचन 18 - ओम् के साथ विसंगीत से संगीत तक दिनांक 8 जनवरी 1975; श्री रजनीश आश्रम पूना। प्रश्नसार: 1-यह मार्ग तो शांति और जागरूकता का मार्ग है, फिर आपके आस-पास का हर व्यक्ति और हर इतनी अव्यवस्था में क्यों है? 2-ओम् की साधना करते समय इसे मंत्र की तरह दोहरायें या एक आंतरिक नाद की तरह सुनें? 3-पहले आप हूं, के मंत्र पर जोर देते थे, अब 'ओम् पर क्यों जोर दे रहे हैं? 4-हमें आपके पास कौन-सी चीज ले आयी-शरीर की आवश्यकता या मन की आकांक्षा? 5-क्या योग और तंत्र के बीच कोई संश्लेषण खोजना संभव है?
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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