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________________ दिखाता है कि गहरे में तुम उस ना-कुछपन को महसूस करते हो। तुम शायद दिखावा करो कि तुम बहुत शक्तिशाली हो, लेकिन तुम्हारा दिखावा और कुछ नहीं है सिवाय एक छुपाव के। मुल्ला नसरुद्दीन एक शराबखाने में दाखिल हुआ अपने हाथ में एक कागज लिये हुए और घोषणा कर दी, 'ये रहे उन लोगों के नाम जिन्हें मैं पीट सकता हूं।' कोई सौ नाम थे वहां। एक आदमी खड़ा हो गया, वह छोटा-सा आदमी था; मुल्ला उसे पीट सकता था। लेकिन उस आदमी के पास उसकी पेटी के इर्द-गिर्द दो पिस्तौलें थीं। वह अपने हाथ में पिस्तौल लिये निकट आया और कहने लगा, 'क्या मेरा नाम भी है वहां? ' मुल्ला ने उसकी ओर देखा और बोला, 'हां।' वह आदमी कहने लगा, 'तुम मुझे पीट नहीं सकते।' मुल्ला बोला, 'तुम्हें पका विश्वास है? 'वह आदमी बोला, 'बिलकुल पका विश्वास है जरा देखो तो।' और उसने पिस्तौल दिखा दी। मुल्ला बोला, 'तो ठीक है। मैं इस सूची में से तुम्हारा नाम काट दूंगा।' तुम दिखावा कर सकते हो कि तुम बहुत शक्तिशाली हो, लेकिन जब कभी तुम्हें सामना करना पड़ता है तब तुम अनुभव करने लगते हो निस्सहायता और शक्तिविहीनता। आदमी दुर्बल है क्योंकि केवल संपूर्ण ही शक्तिशाली हो सकता है,आदमी नहीं। कोई अंश शक्तिशाली नहीं हो सकता। केवल परमात्मा है शक्तिशाली; आदमी होता है दुर्बल। जब तुम ओंकार का जप करते हो, ओम् के नाद का, तो पहली बार तुम अनुभव करते हो कि तुम अब कोई द्वीप न रहे। तुम संपूर्ण सर्वव्यापक नाद का एक हिस्सा बन जाते हो। पहली बार तुम स्वयं को शक्तिमय अनुभव करते हो, लेकिन अब इस शक्तिमयता को हिंसाअक होने की आवश्यकता नहीं होती, आक्रामक होने की आवश्यकता नहीं होती। वस्तुत: एक शक्तिशाली आदमी कभी भी आक्रामक नहीं होता-केवल दुर्बल व्यक्ति आक्रामक हो जाते हैं अपने को सिद्ध करने के लिए-यह दिखाने के लिए कि वे शक्तिशाली हैं। '.. ....और अस्थिरता है उन्हीं बाधाओं में से एक जो मन में विक्षेप लाती हैं।' तुम एक चीज आरम्भ करते हो और फिर छोड़ देते हो। तुम आगे बढ़ते और हटते हो। तुम फिर से प्रारंभ करते और फिर छोड़ देते हो। कोई चीज संभव नहीं होती इस अस्थिरता के साथ। व्यक्ति को सतत प्रयास करना होता है, निरंतर उसे एक ही स्थान पर गड्डा खोदते चले जाना होता है। यदि तम अपना प्रयास छोड देते हो, तो तम्हारा मन ऐसा है कि कछ दिनों बाद तम्हें फिर से क, ख, ग, से प्रारंभ करना होगा। मन स्वयं को उलटा चला लेता है, वह फिर से लौट जाता है। थोड़े दिनों तक तुम कुछ करते हो, फिर तुम इसे छोड़ देते हो। तुम वापस फेंक दिये जाओगे कार्य के तुम्हारे पहले दिन पर ही-फिर से क,ख,ग से शुरू करना होगा। या तुम बहुत कुछ करोगे बिना कोई चीज प्राप्त किये ही। ओम् तुम्हें कुछ अलग ही चीज का स्वाद देगा।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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