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________________ एक-दूसरे को प्रेरित नहीं कर रहे थे। वे समानांतर थे। एक समकालिकता अस्तित्व रखती है; जैसे कि उस क्षण सारा अस्तित्व ही किसी निश्रित सिद्धांत को तैयार कर देना चाहता हो और उसे प्रकट कर देना चाहता हो, व्यक्त करना चाहता हो। अत: यह व्यक्त हो जाता है। और ऐसा केवल बुद्ध पर या केवल हेराक्लतु पर ही निर्भर नहीं करेगा, सिद्धांत बहुतों पर आजमाइश करेगा और दूसरे भी थे, जो गुमनामी में चले गये। वे इतने प्रतिष्ठित नहीं थे बुद्ध और हेराक्लतु सबसे अधिक प्रमुख बन गये। वे सबसे अधिक शक्तिशाली गुरु थे। । पतंजलि के समय में एक सिद्धांत का जन्म हुआ। तुम इसे 'प्राण' का सिद्धांत कह सकते हो-प्राण-ऊर्जा। चीन में इसने अकुपंक्चर का रूप ले लिया, भारत में इसने रूप ले लिया योग की संपूर्ण पद्धति का यह किस प्रकार घटता है कि देह ऊर्जा ठीक प्रकार से नहीं गतिमान हो रही होती तो तुम अशुविधा अनुभव करते हो? ऐसा है क्योंकि तुममें एक अभाव विद्यमान होता है, एक अनुपस्थिति । और तुम अनुभव करते हो कोई चीज चूक रही है। यह आरंभ में डिस-ईज - गैर-शुइवधा अर्थात अस्वस्थता होती है। पहले यह अनुभव किया जायेगा मन में। जैसा मैंने तुमसे कहा था, पहले यह अनुभव किया जायेगा अचेतन में। हो सकता है तुम्हें इसकी खबर न हो, लेकिन यह पहले तुम्हारे सपनों में चली आयेगी। तुम्हारे सपनों में तुम देखोगे बीमारी, रोग, किसी का मरना, कुछ गलत बात दुःस्वप्र घटेगा तुम्हारे । अचेतन में क्योंकि अचेतन देह के निकटतम है और प्रकृति के निकटतम है। अचेतन से यह आ पहुंचेगा उपचेतन तक; तब तुम चिड़चिड़ाहट अनुभव करोगे। तुम अनुभव करोगे कि भाग्य कुछ साथ नहीं दे रहा, कि जो कुछ तुम करते हो गलत हो जाता है। तुम किसी व्यक्ति से प्रेम करना चाहोगे और तुम करते हो कोशिश प्रेम करने की लेकिन तुम प्रेम नहीं कर सकते। तुम किसी की मदद करना चाहते हो, तो भी तुम केवल बाधा ही डालते हो। हर चीज गलत पड़ जाती तुम सोचते हो यह कोई दुअभाव है, दूर ऊंचे आकाश के किसी नक्षत्र का प्रभाव, लेकिन नहीं, यह उपचेतन में ही कुछ बेचैनी है वहां । तुम चिड़चिड़े हो जाते हो, क्रोधित हो जाते हो, और कारण होता है कहीं अचेतन में। तुम कहीं और ढूंढ रहे होते हो कारण । फिर कारण चेतन तक आ पहुंचता है। तब तुम अनुभव करने लगते हो कि तुम बीमार हो, और फिर यह शरीर तक सरका है यह सदा सरकता रहा है शरीर तक और अचानक तुम बीमार महसूस करते हो । सोवियत रूस में एक फोटोग्राफर है, एक अनूठा वैज्ञानिक है, किरलियान उसने आविष्कार किया है कि इससे पहले कि व्यक्ति बीमार हो, छह महीने पहले से ही बीमारी का चित्र लिया जा सकता है और यह बीसवीं शताब्दी के संसार के महानतम आविष्कारों में से एक आविष्कार होने वाला है। यह मनुष्य की संपूर्ण धारणा का रूप परिवर्तित कर देगा-रोग का, दवाइयों का हर चीज का रूप परिवर्तित करेगा। यह एक क्रांतिकारी अवधारणा है और वह तीस वर्षों से इस पर काम करता
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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