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________________ इसलिए बने रहो ईश्वररहित। ईश्वर की चिंता ही मत करो। ये नियम हैं और ये प्रयोग हैं और यह ध्यान है। गुजरो इसमें से। __ वे किसी धारणा पर जोर नहीं देते। ऐसा करना बहुत कठिन है। इसीलिए पतंजलि के 'योगसूत्र' विरले हैं, बेजोड़ है। ऐसी पुस्तक पहले कभी हुई ही नहीं, और आगे कभी होगी ऐसी संभावना नहीं। क्योंकि जो कुछ भी योग के विषय में लिखा जा सकता है, उन्होंने लिख दिया है। उन्होंने कुछ भी बाकी नहीं छोड़ा है। इसमें कोई कुछ नहीं जोड़ सकता। पतंजलि के योगसूत्र जैसे अन्य किसी शास्त्र की रचना होने की भविष्य में कोई संभावना नहीं। उन्होंने कार्य संपूर्ण स्वप्न से समाप्त कर दिया है। और वे इतनी समग्रता से ऐसा कर सके क्योंकि वे एकांगी नहीं थे। यदि वे एकांगी होते तो वे इतनी समग्रता से इसे संपन्न न कर सकते थे। बुद्ध एकांगी हैं, महावीर एकांगी हैं, जीसस एकांगी हैं, मोहम्मद एकांगी हैं। इनमें से हर एक का एक निश्चित मार्ग है। लेकिन उनकी यह आंशिकता तुम्हारी वजह से हो सकती है। यह तुम्हारे प्रति गहरी दिलचस्पी, गहरी करुणा के कारण हो सकती है। वे एक निश्चित मार्ग पर जोर देते हैं। जिंदगी भर वे उसी पर जोर देते रहे। वे कहते रहे, 'दूसरी हर बात गलत है और यही है ठीक मार्ग।' वे ऐसा कहते केवल तुममें आस्था निर्मित करने के लिए। तुम इतने आस्थाहीन हो, तुम इतनी शंकाओं से भरे हो कि यदि वे कहते कि यह मार्ग ले जाता है लेकिन दूसरे मार्ग भी ले जाते हैं तो तुम किसी मार्ग पर चलोगे नहीं। इसलिए वे जोर देते है कि केवल 'यह' मार्ग ले जाता है। यह सच नहीं है। यह तो तुम्हारे लिए निर्मित एक उपाय मात्र ही है। क्योंकि तुम उनमें कोई अनिश्चयात्मकता अनुभव करते, अगर वे कहते, 'यह भी ले जाता है, वह भी ले जाता है; यह भी सच है, वह भी सच है; 'तो तुम अनिश्चयी बन जाओगे। तुम पहले से अनिश्चयी हो, इसलिए तुम्हें कोई ऐसा चाहिए जो कि बिलकुल निश्चित हो। तुम्हें निश्चित देखने के लिए ही वे आंशिक होने का बहाना करते है। लेकिन यदि तुम आंशिक हो, तो तुम सारे आयाम नहीं समेट सकते। पतंजलि आंशिक नहीं हैं। वे तुमसे कम संबंधित हैं और मार्ग के पूर्ण रूपांकन से अधिक संबंधित है। वे झूठ का प्रयोग नहीं करेंगे। वे युक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे। वे तुम्हारे साथ समझौता नहीं करेंगे। कोई वैज्ञानिक समझौता नहीं कर सकता। बुद्ध समझौता कर सकते हैं, वे करुणामय हैं। वे वैज्ञानिक तौर से तुम्हारा उपचार नहीं कर रहे। तुम्हारे लिए उनमें इतनी गहरी मानवीय भावना है कि वे झूठ तक कह सकते हैं तुम्हारी सहायता के लिए। और तुम सत्य को समझ नहीं सकते, इसलिए वे तुम्हारे साथ समझौता करते है। लेकिन पतंजलि तुम्हारे साथ समझौता नहीं करेंगे। जो कुछ भी है तथ्य वे उसी तथ्य के विषय में बोलेंगे। वे एक कदम भी नीचे नहीं उतरेंगे तुमसे मिलने के लिए। वे नितांत असमझौतावादी हैं।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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