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________________ इसलिए पतंजलि की आवश्यकता है। पतंजलि कहते हैं, तुरंत आख खोलने की कोई जरूरत नहीं, बहुत सारे सोपान हैं। तुम सोपानों द्वारा क्रमश: तुम्हारी नींद से बाहर आ सकते हो। कुछ चीजें तुम आज कर सकते हो कुछ चीज कल कर सकते हो, फिर कुछ चीजें परसों कर सकते हो, और इस सबमें लंबा समय लगने ही वाला है। पतंजलि तुम्हें रुचते हैं क्योंकि वे तुम्हे सोने को समय देते हैं। वे कहते हैं बिलकुल अभी तुम्हें अपनी नींद से बाहर आने की कोई जरूरत नहीं, बस करवट भर बदलना भी काम देगा। फिर थोड़ा सो लेना; फिर कुछ और कर लेना। फिर कुछ समय बाद क्रम में चीजें घटेंगी। वे बड़े लुभावने हैं। वे तुम्हें तुम्हारी नींद में से बाहर आने को फुसलाते हैं। झेन तुम्हारी नींद से तुम्हें झटके से बाहर लाता है। इसीलिए एक झेन गुरु तुम्हारे सिर पर चोट कर सकता है, लेकिन पतंजलि कभी नहीं। एक झेन गुरु तुम्हें खिड़की से बाहर फेंक सकता है, लेकिन पतंजलि कभी नहीं । एक झेन गुरु चौकानेवाली विधि का उपयोग करता है। तुम झटके द्वारा तुम्हारी नींद में से बाहर लाये जा सकते हो, तो क्यों कोई तुम्हें राजी करने की कोशिश करता रहे? क्यों समय गंवाना ? पतंजलि थोड़ा-थोड़ा करके धीरे-धीरे तुम्हें साथ-साथ ले आते हैं। वे तुम्हें नींद से बाहर लाते हैं, और तुम जान भी नहीं पाते वे क्या कर रहे है। वे मां की भांति हैं। वे बिलकुल विपरीत बात करते हैं, लेकिन वे इसे करते हैं मां की भांति ही। मां बच्चे को सोने के लिए राजी करती है, वे तुम्हें नींद से बाहर आने के लिए राजी करते हैं। वह लोरी गा सकती है बच्चे को महसूस कराने को कि वह मौजूद है वहां, इसलिए उसे डरने की जरूरत नहीं एक ही पंक्ति बार-बार दोहराने से बच्चा नींद में बहला दिया जाता है। वह मां का हाथ थामे नींद में उतर जाता है। उसे चिंता करने की जरूरत नहीं होती। मां है और वह गा रही है, और गाना सुंदर है। और मां नहीं कह रही कि 'सो जाओ', क्योंकि वह बात अड़चन देगी। वह अप्रत्यक्ष रूप से ही राजा करवा रही है। और वह बच्चे को कम्बल ओढ़ा देगी और कमरे से बाहर चली जायेगी, और बच्चा गहरी नींद सो जायेगा। बिलकुल यही पतंजलि करते हैं विपरीत क्रम में। धीरे- धीरे वे तुम्हें तुम्हारी नींद से बाहर ले आते हैं। इसीलिए समय की जरूरत पड़ती है; वरना फूल तो पहले से ही खिला हुआ है। देखो! यह पहले से ही है वहां। आख खोलो और वह वहां होता ही है; द्वार खोलो और वह वहां खड़ा प्रतीक्षा कर रहा है तुम्हारी वह सदा से वहां खड़ा है। यह निर्भर करता है तुम पर यदि तुम्हें चौंकाने वाली विधि पसंद है, तब झेन है मार्ग यदि तुम पसंद करते हो बहुत धीरे धीरे होने वाली प्रक्रिया, तब योग है मार्ग चुन लेना। चुनने में भी तुम बहुत चालाक हो। तुम मुझसे कहते हो 'कैसे चुन सकता हूं मैं?' यह भी एक चालाकी है। हर चीज साफ है। यदि तुम्हें समय की जरूरत है, पतंजलि को चुन लेना। यदि तुम झटकों से भयभीत हो, चुन लेना पतंजलि को। लेकिन चुन लेना। अन्यथा गैर-चुनाव स्थगन बन जायेगा। फिर तुम कह देते हो, 'चुनना कठिन है, लेकिन जब तक मैं चुन न लूं मैं कैसे आगे बढ सकता हूं।"
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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