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________________ ऐसा कहा जाता है कि बहुत थोड़े लोग वर्तमान हैं जिन्होंने कभी सारी किताब पूरी तरह से पढ़ी। यह इस तरह से लिखी गयी है कि तुम हताश हो जाओगे। बीस या पच्चीस पृष्ठ पढ़ लेना काफी है। और गुरजिएफ पगला लगता है। ये सूत्र हैं, पतंजलि के सूत्र। हर चीज बीज स्वप्न में घनीभूत करदी गयी है। अभी कल ही कोई मेरे पास आया और मुझसे पूछने लगा, 'क्यों? जब पतंजलि ने सूत्रों को संक्षिप्त कर दिया, तो फिर आप इतने ज्यादा विस्तार से क्यों बोलते हैं?'मुझे बोलना पड़ता है, क्योंकि उन्होंने वृक्ष को बीज बनाया है, और फ्टे बीज को फिर वृक्ष बनाना पड़ता है। ___ हर सूत्र घनीभूत किया हुआ है, समग्र स्वप्न से घनीभूत। तुम इसमें कुछ कर नहीं सकते। और किसी को ऐसा करने में दिलचस्पी नहीं है। संक्षिप्त स्वप्न में लिखना उन्हीं विधियों में से एक विधि थी जिसका प्रयोग पुस्तक को सदैव शुद्ध रखने के लिए ही किया जाता था। और कितने हजारों वर्षों तक यह पुस्तक लिखी न गयी। इसे शिष्यों द्वारा कंठस्थ भर किया गया था। यह एक से दूसरे को स्मृति द्वारा दी गयी थी। यह लिखी न गयी थी, अत: इसमें कोई कुछ कर नहीं सकता था। यह एक पावन स्मृति थी, सुरक्षित रखी हुई। और जब पुस्तक लिखी भी जा चुकी थी, यह इस तरह से लिखी गयी थी कि अगर तुम इसमें कोई चीज जोड़ देते, उसे तत्क्षण ढूंढ लिया जाता। जब तक कि पतंजलि की योग्यता का व्यक्ति इसका प्रयास नहीं करता, ऐसा किया नहीं जा सकता। जरा सोचो, अगर तुम्हारे पास आइंस्टीन का फार्मूला होता, तो तुम उसके साथ क्या कर सकते हो? यदि तुम उसके साथ कुछ कर सकते हो, तो उसे फौरन पकड़ लिया जायेगा। जब तक कि आइंस्टीन जैसे दिमाग का आदमी उसके साथ खेल करने की कोशिश न करे, उसमें कुछ किया नहीं जा सकता। फार्मूला संपूर्ण है। उसमें कुछ भी जोड़ा नहीं जा सकता, न ही कुछ घटाया जा सकता है। स्वयं में यह एक इकाई है। जो कुछ भी तुम इसमें करते हो, वह खोज लिया जायेगा। ये सब बीज-सूत्र है। अगर तुम उनमें एक भी शब्द जोड़ते हो तो कोई भी जो योग के मार्ग पर कार्य कर रहा है, फौरन जान जायेगा कि यह गलत है। मैं तुम्हें एक घटना सुनाता हूं; यह इसी सदी में घटित हुआ है। भारत के एक महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी पुस्तक 'गीतांजलि' का अनुवाद किया, बंगला से अंग्रेजी में। उन्होंने स्वयं उसका अनुवाद किया था, लेकिन वे थोड़ी हिचकिचाहट में थे। इस विषय में 'कि वह अनुवाद ठीक था या नहीं। इसलिए उन्होंने महात्मा गांधी के एक मित्र-शिष्य, सी. एफ. एंड्रयूज से कहा, उसकी जांच करने के लिए कि यह देखा जा सके कि अनुवाद कैसा हो पाया था। सी. एफ. एंड्रयूज कवि न था किंतु वह एक अंग्रेज था। अच्छा पढा-लिखा, भाषा का, व्याकरण का और हर चीज का ताता। लेकिन वह कोई कवि न था।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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