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________________ यदि तुम संवेदनशील हो, तो तुम सजग हो सकते हो कि जब कभी तुम निश्चित चीजें खाते हो, निश्चित बातें फौरन पीछे चली आती है। जब कभी तुम शराब पीते हो, तब तुम वही नहीं रहते, तुरंत एक नया व्यक्तित्व आ पहुंचा। शराब किसी व्यक्तित्व का निर्माण नहीं कर सकती, लेकिन यह तुम्हारे शरीर का ढांचा बदल देती है शारीरिक रसायन बदल जाता है। शरीर का रसायन बदलने के साथ, मन को अपना ढांचा बदलना पड़ता है। और जब मन अपना ढांचा बदलता है, तब एक नया व्यक्तित्व चला आता है। मैंने प्राचीनतम चीनी कथाओं में से एक कथा सुनी है एक बार ऐसा हुआ कि हिस्की की एक बोतल मेज से गिर पड़ी। ऐसा केवल संयोगवश हुआ, कोई बिल्ली कूद पड़ी होगी। वह बोतल टूट गयी और हिस्की सारे फर्श पर फैल गयी। रात में तीन चूहे हिस्की को चाट गये। तत्काल एक चूहा बोला, 'अब मैं महल की ओर जा रहा हूं राजा के पास, उसे अपनी जगह ठिकाने लगा देने के लिए। दूसरा कहने लगा, 'मैं राजाओं के बारे में चिंतित नहीं हूं। मैं खुद सारी पृथ्वी का सम्राट होने जा रहा हूं।' और वह तीसरा बोला, 'जो कुछ तुम्हें पसंद है वही करो। ऐ मित्रों! मैं ऊपरी मंजिल पर जा रहा हूं बिल्ली से संभोग करने के लिए।' सारा व्यक्तित्व बदल गया है। एक चूहा एक बिल्ली से संभोग करने की सोच रहा है! लेकिन यह हो सकता है, यह हर रोज होता है जो कुछ भी तुम खाते हो, तुम्हें बदल देता है जो कुछ भी तुम पीते हो, तुम्हें बदल देता है क्योंकि शरीर तुम्हारा एक बड़ा हिस्सा है तुम्हारा नब्बे प्रतिशत तुम्हारा शरीर है। पतंजलि वैज्ञानिक है क्योंकि वे हर चीज का ध्यान रख लेते हैं-भोजन का, शारीरिक स्थिति का तुम्हारे सोने का तरीका, तुम्हारा सुबह उठने का तरीका, जब तुम सुबह उठते हो, जब तुम सोने के लिए जाते हो। वे हर चीज को ध्यान में लेते है, जिससे कि तुम्हारा शरीर एक अवसर बन जाये किसी उच्चतर घटना के लिए। फिर वे तुम्हारी श्वास- क्रिया पर ध्यान देते है। यदि तुम उदास होते हो, तो तुम्हारे श्वसन की लय अलग होती है। इस पर जरा ध्यान देना; आजमाओ इसे तुम बहुत सुंदर प्रयोग कर सकते हो। जब भी तुम उदास होते हो, तब अपनी सांस को देखना- कितना समय तुम सांस खींचने में लेते हो और फिर कितना समय तुम सांस बाहर छोड़ने में लेते हो। जरा इसे ध्यान में लो। जरा भीतर गिनोएक, दो, तीन, चार, पांच... तुम पांच तक या लगभग इतना ही गिनते हो और सांस भीतर खींचना समाप्त हो जाता है। फिर, जब तुमने एक से लेकर दस तक गिन लिया है, सांस बाहर छोड़ना समाप्त हो जाता है। इसे सूक्ष्म तौर पर ही देखना, जिससे कि तुम अनुपात को जान सको। और फिर, जब भी तुम प्रसन्नता अनुभव करो, तुरंत वही उदासी वाला अनुपात आजमाओ - पांच, दस, या जो भी प्रसन्नता विलीन हो जायेगी।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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