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________________ पसीना-पसीना हो जाते, तुमने कुछ भी खाया न होता और शाम होने पर वह आता और कह देता, 'मिट्टी को वापस गड्डे में फेंक दो। और तुम्हारे सोने से पहले वह काम पूरा हो जाना चाहिए।' इस समय तक तो एक साधारण बुद्धि वाला भी कह देगा, आपका मतलब क्या है? मैंने सारा दिन बरबाद कर दिया। मैंने सोचा था कि यह कुछ बहुत जरूरी है जिसे शाम तक पूरा करना ही पड़ता था, और अब आप कहते हैं, मिट्टी को वापस फेंको।' यदि तुम ऐसी बात उससे कहते, गरजिएफ कहता, 'सीधे भाग जाओ। जाओ। मैं तुम्हारे लिए नहीं, तुम मेरे लिए नहीं।' यह गड्डे की या उसे खोदने की बात नहीं है। असल में वह देखना चाह रहा है तुम तब भी उसमें श्रद्धा रख सकते हो या नहीं, जब वह बेतुका हो। एक बार वह जान लेता कि तुम उसमें श्रद्धा रख सके हो और वह जहां भी ले गया उसके साथ चल सके हो, केवल तभी वास्तविक चीजें चली आती। तब परीक्षा समाप्त हो गयी। तुम परख लिये गये और प्रामाणिक पाये गये हो-एक सच्चा खोजी जो प्रयोग कर सकता है और श्रद्धा रख सकता खै। तभी वास्तविक चीजें तुम्हें घट सकती हैं। इससे पहले हरगिज नहीं। पतंजलि स्वयं गुरु हैं, और यह तीसरा स्रोत जिसे वे हजारों-हजारों शिष्यों के साथ हुए अपने अनुभव द्वारा बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। वे कितने-कितने शिष्यों और खोजियों के साथ कार्य कर चुके हलै, क्योंकि केवल तभी यह संभव हो सकता था कि योगसूत्र जैसा शोध-ग्रंथ लिखा जाये। यह किसी विचारक की रचना नहीं है। यह कार्य उसके द्वारा हुआ है जिसने बहुत तरह की मनोवृत्तियों के साथ प्रयोग किये हैं। और उसने जिनके साथ कार्य किया उन हर तरह के व्यक्तियों के मन की कितनी तहों को वह बेध चुका है। तो इसे वे तीसरा स्रोत बनाते हैं-बुद्धपुरुषों के वचन। विपर्यय एक मिथ्या ज्ञान है जो विषय से उस तरह मेल नहीं खाती जैसा वह है। अब कुछ परिभाषाएं जो आगे चलकर सहायक होगी। विपर्यय' की परिभाषा-असत ज्ञान : किसी विषय के बारे में मिथ्या धारणा है जो विषय से उस तरह मेल नहीं खाती, जैसा वह है। हम सबके पास असत ज्ञान का बडा बोझ है क्योंकि इससे पहले कि हम तथ्य का साक्षात्कार करें, हमारे पास पहले से ही पूर्वधारणाएं होती ?? यदि तुम हिंदू हो और किसी का तुमसे परिचय कराया जाता है, और यह कहा जाता है कि वह मुसलमान है, फौरन तुमने गलत विचार ले लिया कि वह आदमी गलत ही होगा। यदि तुम ईसाई हो और कोई तुमसे परिचित हुआ यहूदी के स्वप्न में तो तुम इस व्यक्ति को स्वीकार नहीं करने वाले, तुम इस आदमी के सामने खुलने वाले नहीं हो।'एक यहूदी' ऐसा कहने से ही तुम्हारी पूर्वधारणा
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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