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________________ तो मनुष्य को तोड़ रहे है और दूसरी ओर प्रकृति का विनाश कर रहे हैं, तो अनचाहे हम हिसा का ही वरण कर रहे है और करेगे। ऐसी स्थिति मे हमारी यह देवालयी और रसोईघर की अहिसा हमारा कितना साथ देगी? अहिंसा तभी जीवन में उतरेगी जब कि मनुष्य उसकी आधारशिला-बेकबोन-अपरिग्रह को जीवन मे लायगा । परिग्रह और अपरिग्रह का सोचा सम्बन्ध हमार कार्य-जीवन से है। जिस धर्म को हम ग्रहण करना चाहते हैं, जिसकी जय-जयकार हम मदिरो, मस्जिदो और गिरजाघरो मे कर रहे है, वह भजने से हाथ नहीं आने का। वह तो तभी हाथ आयगा जब उसे कर्म-जीवन में दाखिल करेगे। अहिंसाधर्मियो को अपना पैर अहिंसा की बेकबोन-अपरिग्रह-पर धरना होगा, तभी वे हिसा के कष्ट भरे रास्ते पर चल सकेगे। आज तक चला सब अकारथ हुआ, यही समझिए। पहले अपरिग्रह का पकडिए, अहिंसा अपने-आप सध जायगी। 00 जीवन मे?
SR No.034092
Book TitleMahavir Jivan Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManakchand Katariya
PublisherVeer N G P Samiti
Publication Year1975
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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